आज से शुरू होगा कुपोषण के खिलाफ अभियान, ढूंढे जायेंगे अति कुपोषित बच्चे

देवरिया। कुपोषण को जड़ से समाप्त करने के लिए सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा।  इस वर्ष पोषण माह  दो मुख्य उद्देश्यों  पर आधारित है। पहला – अति कुपोषित बच्चों को चिन्हित करना तथा उनकी मॉनिटरिंग और दूसरा किचन गार्डन को बढ़ावा देने के लिए पौधरोपण अभियान चलाना।
जिला कार्यक्रम अधिकारी कृष्णकांत राय  ने बताया कि शासन द्वारा राष्ट्रीय पोषण माह मनाए जाने के दिशा-निर्देश  हैं। कार्यक्रम की शुरुआत  सात सितंबर से होगी। उन्होंने बताया पोषण माह के दौरान समस्त गतिविधियों का संचालन कॉविड 19 से सम्बंधित प्रोटोकॉल और भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा समय समय पर जारी गाईडलाईन को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
कार्यक्रमों के सफल आयोजनों के लिए सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ), मुख्य सेविकाओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए गए हैं। इस दौरन कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों की पहचान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा अभियान चलाकर की जाएगी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया पोषक तत्वों को नियमित आहार में शामिल करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। स्थानीय आहार एवं सब्जियों के सेवन करने से कई तरह की बीमारियों से बचा जा सकता है। इसीलिए पोषण माह के दौरान पौधारोपण  विशेषकर फलदार वृक्ष के रोपण के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।  पोधारोपण के अंतर्गत मौसमी फल , पत्तेदार सब्जियां , बैगन , टमाटर , पुदीना , गाजर , तुलसी , सहजन आदि को बढ़ावा दिया जाएगा।  उन्होंने बताया पौधों का रोपण आंगनबाड़ी केंद्र , शासकीय भवन तथा लाभार्थियों के घर पर किया जाएगा। उन्होंने बताया विद्यालयों के आँगन में किचन गार्डन की स्थापना तथा ग्राम विकास विभाग द्वारा खाली ज़मीन पर पोषण वाटिका की स्थापना आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहित कर किया जाएगा।
स्तनपान के साथ ऊपरी आहार पर दिया जायेगा जोर 
उन्होंने बताया स्तनपान के साथ ऊपरी आहार के माध्यम से बच्चों में कुपोषण के स्तर में कमी आती है।  स्तनपान कराने में माताओं का सहयोग एवं स्तनपान को बढ़ावा दिया जाना एक अत्यंत महत्वपूर्ण गतिविधि है जन्म से 6 माह तक केवल स्तनपान और दो  साल तक  स्तनपान और इसके बाद भी स्तनपान जारी रखने से शिशु को उच्च गुणवत्ता वाली ऊर्जा एवं पोषण तत्व प्राप्त होते  हैं।  मां का दूध शिशु के व्यापक विकास, मानसिक विकास, शिशु को डायरिया, निमोनिया व कुपोषण से बचाने और बेहतर स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आशा द्वारा गर्भवती महिलाओं , 0-2 वर्ष उम्र के बच्चे का निरंतर गृह भ्रमण करते हुए स्तनपान , ऊपरी आहार , अनुपूरक पुष्टाहार , टीकाकरण जैसे मुद्दों पर परामर्श प्रदान किया जाएगा।