भाकियू (अम्बावता) ने 30 सितम्बर तक गन्ना मूल्य का भुगतान न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी

कुशीनगर। भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) की जिला इकाई ने जिलाध्यक्ष रामचन्द्र सिंह की अगुवाई में 14 सितंबर को जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर बकाया के गन्ना मूल्य का भुगतान 30 सितम्बर  तक नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

भारतीय किसान यूनियन (अम्बावता) के जिलाध्यक्ष रामचन्द्र सिंह ने कहा कि कुशीनगर की पांच चीनी मिलें कप्तानगंज, रामकोला (पंजाब), खड्डा, ढाडा (बजुर्ग) और सेवरही पर 138 करोड़ गन्ना मूल्य बकाया है। कप्तानगंज चीनी मिल पर 39. 28 करोड़, रामकोला पंजाब चीनी मिल पर 40.86 करोड़ , खड्डा चीनी मिल पर 13.14 करोड़ ढाढा चीनी मिल पर 18. 64 करोड़ और सेवरही चीनी मिल पर 24.38 करोड़ गन्ना मूल्य बकाया है। गोरखपुर की सरकारी चीनी मिल पिपराईच पर किसानों का लगभग 36 करोड़ रूपये बकाया है|

उन्होंने कहा कि कुशीनगर जिला गन्ना बाहुल्य क्षेत्र है। यहाँ का किसान गाढ़ी कमाई का रुपया गन्ने की बुवाई में लगा देता और एक साल इन्तजार करने के बाद गन्ने को चीनी मिलों तक ले जाता है लेकिन चीनी मिलें गन्ने का भुगतान करने में कई महीने लगा देते हैं। जब समय से गन्ने का भुगतान नहीं नही मिल पाता है तो किसान बेहाल और परेशान हो जाता है। किसान की दुर्दशा को न सरकार देखती है और न ही मिल मालिक। ऐसी स्थिति में किसान जाए तो जाए कहाँ ?

किसान नेता ने कहा कि सूबे के मुख्यमन्त्री द्वारा सभी चीनी मालिकों को फरमान जारी किया गया था कि किसानों के गन्ने का भुगतान चौदह दिन में होना चाहिए मगर सूबे के मुखिया का फरमान की धज्जियाँ चीनी मिल मालिकों द्वारा उडाया जा रहा है और सरकार बेवश और लाचार होकर सिर्फ तमाशा देख रही है | जनपद में किसानों के गन्ने का भुगतान समय से नही होने के वजह से किसान कर्जदार होते जा रहा है और मिल मालिक किसानों के हड्डी के ऊपर कबड्डी खेल कर अपनी पूंजी बनाने में जुटे हैं।

श्री सिंह ने कहा कि  एक तरफ तो सरकार कहती है कि हम किसानों की आय दोगुनी कर देंगें और दूसरी तरफ किसानों के गन्ने और गेहूँ का भुगतान कराने में सरकार नाकाम रही है ? ऐसी परिस्थिति में यह संभव कैसे हो सकता है ? भारतीय जनता पार्टी कभी किसान हितैषी नही हो सकती है | देश व प्रदेश में जब जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी है तब तब किसानों के साथ अत्याचार हुआ है | वर्ष 1992 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में थी और गन्ना भुगतान को लेकर किसान रामकोला में आन्दोलित थे। तब बीजेपी सरकार ने किसानों के ऊपर गोलियाँ चलवाने का कार्य किया गया था | यदि चीनी मिलों द्वारा किसानों के गन्ने का भुगतान  अविलंब नही हुआ तो जनपद में 1992 जैसा हालात पैदा हो सकते हैं।

ज्ञापन देने वालों में  जिला सचिव चेतई प्रसाद, वरिष्ठ समाजसेवी जय सिंह सैथवार, जवाहर प्रसाद, असरफ अंसारी, आकाश पटेल, अशोक सिंह आदि के नाम उल्लेखनीय है।