Monday, December 11, 2023
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बसपा ने नौतनवा से अमन मणि त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया

गोरखपुर। बसपा ने महराजगंज जिले की नौतनवा विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक अमन मणि त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है। अमन मणि त्रिपाठी पर पत्नी सारा सिंह की हत्या का केस दर्ज हैं और इस समय अदालत में ट्रायल चल रहा है।
अमन मणि त्रिपाठी पूर्व मंत्री अमर मणि त्रिपाठी के बेटे हैं जो इस समय कवयित्री मधुमिता शुक्ल की हत्या में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

नौतनवा सीट से सपा ने पूर्व विधायक कुंवर कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है तो भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी से ऋषि त्रिपाठी चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने यहां सदामोहन उपाध्याय को टिकट दिया है।

अमन मणि त्रिपाठी 2017 का विधानसभा चुनाव जेल में रहते हुए लड़े थे। पिछले चुनाव में उत्तर प्रदेश में तीन निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे जिसमें अमन मणि त्रिपाठी एक थे।

40 वर्षीय अमन मणि त्रिपाठी के पिता अमर मणि त्रिपाठी इस सीट से चार बार विधायक रह चुके हैं। वे कल्याण सिंह सरकार में युवा कल्याण राज्य मंत्री, राम प्रकाश गुप्त सरकार में लघु उद्योग राज्य मंत्री और राजननाथ सिंह मंत्रिमंडल मे संस्थागत वित्त एवं कारागार राज्य मंत्री रह चुके हैं। वे 2002 से 2003 तक मायावती सरकार में भी मुद्रण एवं लेखन सामग्री राज्य मंत्री थे। इसी समय मधुमिता शुक्ल हत्या कांड में वे आरोपित हुए और उन्हें मंत्रिमंडल से हटा दिया गया। बाद में वे गिरफ्तार हुए और इसी केस में उन्हें और उनकी पत्नी मधु मणि को आजीवन कारावास की सजा हुई।

नौतनवा विधानसभा सीट पर पिछले तीन दशक से राजनीतिक मुकाबला दो परिवारों में ही होता आ रहा है। एक तरफ पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनका परिवार होता है तो दूसरी तरफ पूर्व सांसद अखिलेश सिंह और उनका परिवार।

अमरमणि 1989 से अब तक चार बार तो अखिलेश सिंह दो बार यहां से विधायक रह चुके हैं। एक बार उनके भाई कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह विधायक हैं। अखिलेश सिंह अब महाराजगंज संसदीय क्षेत्र की राजनीति करते हैं और वे एक बार सांसद भी रह चुके हैं।

अखिलेश सिंह ने जनता पार्टी से राजनीतिक कैरियर शुरू किया और इसके बाद से समाजवादी पार्टी में ही रहे जबकि अमरमणि लगातार दल बदलते रहे हैं।

भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी से राजनीति की शुरूआत करते हुए अमर मणि त्रिपाठी कांग्रेस में आए और फिर बसपा व सपा में भी रहे। उन्होंने पहला चुनाव 1980 में लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। नौ वर्ष बाद 1989 में वह पहली बार विधायक बने। इसके बाद के दो चुनाव 1991 व 1993 वह अखिलेश सिंह से हारे। फिर उन्होेने 1996 के बाद से तीन चुनाव लगातार जीते। वर्ष 2002 में वे बसाप से तो 2007 में सपा से विधायक बने।

अमन मणि 2012 का चुनाव सपा से लड़े लेकिन हार गए। पिछले चुनाव में उन्हें सपा से टिकट नहीं मिला तो वे जेल में रहते हुए निर्दल चुनाव लड़ गए और कौशल सिंह उर्फ मुन्ना सिंह को 32,256 मतों से हराया। भाजपा प्रत्याशी समीर त्रिपाठी तीसरे स्थान पर रहे और उन्हें 45050 मत मिले। बसपा प्रत्याशी एजाज अहमद को 26210 मत मिले थे।

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