रविदास जयंती और शहीद चंद्रशेखर आजाद के शहादत दिवस को ‘मजदूर किसान एकता दिवस’ के रूप में मनाया

देवरिया। संत गुरु रविदास जयंती एवं शहीद चंद्रशेखर आजाद के शहादत दिवस को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा ‘मजदूर किसान एकता दिवस’ के रूप में मनाया जाने के आह्वान पर पंचायत प्रतिनिधि महासंघ के तत्वावधान में मुसैला खुर्द गांव में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में जाति पाति विहीन, अंधविश्वास मुक्त, समाजवादी समाज के निर्माण की सोच रखने वाले और उसके लिए शहादत देने वाले शहीदों को याद करने के साथ ही किसान विरोधी मजदूर विरोधी और शिक्षा विरोधी और और गैरसंवैधानिक तरीके से लाए गए कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली के सीमा क्षेत्रों पर धरनारत शहीद हुए 248 किसानों को भी श्रद्धांजलि दी गई और जनविरोधी कानूनों को वापस लेने की मांग भी की गई।

गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए किसान सभा के नेता कामरेड रामकिशोर वर्मा ने सरकार की तीनों कृषि कानूनों को भारतीय कृषि व्यवस्था को नष्ट करने वाला, किसानों मजदूरों के खिलाफ और बेतहाशा महंगाई को बढ़ाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट खेती का दुष्परिणाम अंग्रेजों के समय में भी देश भुगत चुका है। जमाखोरी को वैधानिक बनाना और अनाज को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर करना गरीबों और मजदूरों को भयानक महंगाई और भुखमरी की आपदा में धकेल देने वाला है।

समान शिक्षा आंदोलन उत्तर प्रदेश के नेता डॉक्टर चतुरानन ओझा ने कहा कि आज देश को संतों और शहीदों के सपनों के खिलाफ,आम जनता के हितों के खिलाफ देशी – विदेशी पूंजीपतियों के फायदे के लिए संचालित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह दु:खद है कि कोरोना काल की आपदा का हौव्वा खड़ा कर, संसद की औपचारिकताओं को भी दरकिनार करते हुए मजदूरों, किसानों, छात्रों नौजवानों को उनके संवैधानिक अधिकारों से भी बेदखल करने वाले कानून थोपे जा रहे हैं। तीन कृषि कानून 2020, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, नए श्रम कानून सभी को पूरी तरह वापस लिया जाना चाहिए।

आयोजन की अध्यक्षता कर रही जिला पंचायत कि पूर्व अध्यक्ष डॉ कृष्णा जायसवाल ने संत रविदास के जीवन और विचारों पर विस्तार से बात रखते हुए सभी से जातिवाद के कुंठा से ऊपर उठकर समग्र मानवता के लिए समतामूलक समाज के निर्माण के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संत रैदास का व्यक्तित्व इतना विराट था कि काशी के ब्राह्मण भी उनको सर झुकाते थे और राजपूताने की रानी मीराबाई ने अपने आराध्य कृष्ण से भी श्रेष्ठ मानते हुए उनको अपना गुरु बनाया था। उन्होंने चंद्रशेखर आजाद की शहादत का स्मरण करते हुए उसे किसान आंदोलन में शहीद हुए लोगों से जोड़ा और सभी से उनके सपनों को साकार करने के लिए आगे आने की अपील किया। उन्होंने कहा कि आज के आंदोलनों में स्त्रियों की भागीदारी बड़ी है इससे हमारी जीत सुनिश्चित हो रही है।

पंचायत प्रतिनिधि महासंघ के नेता ग्राम प्रधान मोहन प्रसाद ने कहा कि संतों और शहीदों की प्रेरणा से और किसान मजदूर की एकजुटता से चलने वाला आंदोलन समतामूलक शोषण रहित समाज की स्थापना तक चलते रहेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों मजदूरों की एकजुटता रंग लाएगी, इन्हीं से पंचायतों को उनका अधिकार मिलेगा और न्याय पंचायतों का गठन होगा।

कार्यक्रम को राष्ट्रीय विकलांग एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, पूर्वांचल छात्र संघर्ष समिति के मंडल अध्यक्ष अरविंद गिरि, राजेश मणि त्रिपाठी, सत्येंद्र कुमार, मोहित कुमार, विशंभर ओझा, कृष्ण बिहारी, रोहित कुमार , बृजेश कुमार चौहान आदि ने भी संबोधित किया। गोष्ठी का संचालन मोहन प्रसाद ने किया।