पोस्टर, तख्तियां लहराकार संविदा एएनएम ने अपनी मांग के लिए आवाज बुलंद की

गोरखपुर। समान काम के लिए समान वेतन, गृह जनपद स्थानान्तरण, पेट परीक्षा कराए बिना स्थायी नियुक्ति सहित कई मांगों को लेकर संविदा एएनएम ने आज अपने कार्यस्थल पर काली पट्टी बांध कर और अपनी मांगों की तख्तियां व पोस्टर लेकर अपनी आवाज बुलंद किया। प्रदेश के हर जिलों में संविदा एएनएम के इस प्रदर्शन की खबर है।

एएनएम संविदा संघ की प्रदेश संयोजक प्रेमलता पांडेय ने 15 मई को प्रदर्शन का आह्वान किया था। प्रदर्शन में उठायी गयी मांगों को संविदा एएनएम काफी पहने से उठाते रहे हैं। संविदा एएनएम ने अपने-अपने जिलों में मंत्रियों, सांसदों, विधायकों को इस बारे में ज्ञापन दिए थे और मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा था।

आज अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन के पहले कोविड-19 के कारण मरे स्वास्थ्य कर्मियों को दो मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी गई।

 

इसके बाद काली पट्टी बांधकर और अपनी मांगों का पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया गया।

संविदा एएनएम संघ की प्रदेश संयोजक प्रेमलता पांडेय नै बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थय मिशन के तहत लगभग 16000 एएनएम संविदा महिलाये कार्यरत है। हमने मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों, विभाग के प्रमुख अधिकारियों को पत्र लिखकर अपनी समस्याएं बतायीं और समाधान की मांग की लेकिन हमारी आवाज नहीं सुनी जा रही है।

हमारी मांग है कि 300 से 800 किलोमीटर दूर दूसरे जिलों में विकट परिस्थितियों में कार्य कर रही सभी संविदा एएनएम को उनके गृह जिला में तैनात किया जाए, समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए, स्थायी नियुक्ति होने तक संविदा एएनएम को 25 हजार वेतन दिया जाए, पेट परीक्षा से बाहर रखकर संभी संविदा एएनएम को नियमित पदों पर नियुक्त किया जाए, कोविड-19 संक्रमण से जान गंवाने वाली एएनएम को 50 लाख की आर्थिक सहायता दी जाए, सरकार द्वारा घोषित वेतन का 25 फसदी एलाउंस संविदा एएनएम को भी दिया जाय।

 

श्रीमती पांडेय ने कहा कि सरकार महिला सशक्तीकरण की बात कर रही है लेकिन संविदा एएनएम को इससे वंचित रखा जा रहा है। सामान्य दिनों में संविदा एएनएम की बात नहीं सुनी गई और कोरोना काल में भी उनकी समस्याएं नहीं सुनी जा रही हैं जबकि कोविड-19 के रोकथाम के सबसे संवेदनशील टीकाकरण कार्यक्रम को संविदा एएनएम ही गति दे रही हैं।