कोरोना उपचाराधीन मां भी नवजात को करा सकती है स्तनपान

देवरिया। कोविड-19 संक्रमण काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोग कई तरह के उपाय अपना रहे हैं। लोग आयुर्वेद काढ़ा और बेहतर खान-पान को अपना रहे हैं। ऐसे में नए जन्मे शिशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मां का दूध किसी वरदान से कम नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि जन्म के एक घंटे के अंदर मां का पहला पीला गाढ़ा दूध जिसे कोलस्ट्रम भी कहते हैं, शिशुओं को बीमारी और संक्रमण से बचाने का बेहतर उपाय है। उनका कहना है कि कोरोना उपचाराधीन माँ भी विशेष सावधानियों के साथ बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं।
परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ. बीपी सिंह का कहना है कि मां का दूध शिशुओं के लिए सबसे अच्छा आहार माना जाता है। यह न केवल शिशुओं के सम्पूर्ण विकास में सहायक है, बल्कि कई रोगों से लड़ने में मदद भी करता है। इसके महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए विश्व में हर साल एक से सात अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है। इस बार विश्व स्तनपान सप्ताह की ग्लोबल थीम ‘‘स्वस्थ समाज के लिए स्तनपान का संकल्प’’ रखी गई है।
उन्होंने बताया कि  नवजात शिशुओं को जन्म के एक घंटे के अंदर मां का दूध और पहले 6 माह तक सिर्फ स्तनपान कराने से कई तरह की बीमारियों के साथ ही कोरोना जैसी महामारी से भी लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इस दौरान यदि मां कोरोना उपचाराधीन है या उसकी संभावना है, तब भी मां शिशु को स्तनपान करा सकती है, परंतु सावधानी के तौर पर उसे यह जरूर ध्यान रखना है कि जब भी वह बच्चे के संपर्क में हों, तो मॉस्क पहनें और खांसते व छींकते समय मुंह को ढक लें। इसके अलावा बच्चे को अपना दूध पिलाने से पहले और बाद में अपने हाथों को साबुन-पानी से 60 सेकेंड तक जरूर धोएं। वहीं अगर बच्चा बीमार है या कोरोना उपचाराधीन है और यदि वह दूध पी रहा है। तो मां को अवश्य शिशु को स्तनपान कराना चाहिए। इस दौरान अगर मां को बुखार, खांसी या सांस लेने में तकलीफ है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें और बताए गए नियमों का पालन करें।
 माताओं को जागरूक करें आशा 
एसीएमओ ने कहा विश्व स्तनपान सप्ताह के अंतर्गत सभी आशा कार्यकर्ता कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सभी धात्री महिलाओं के घर जाकर शारीरिक दूरी रखते हुए  स्तनपान पर जोर दें।धात्री महिलाओं को पूरी साफ सफाई रखते हुए मॉस्क लगाकर शिशुओं को स्तनपान कराने का अभ्यास कराएं। साथ  ही स्तनपान के महत्व को भी बताएं। यह भी बताएं कि छह माह तक केवल बच्चों को स्तनपान ही कराएं। किसी भी प्रकार से पानी, शहद, घुट्टी आदि कदापि न पिलाएं, क्‍योंकि मां का दूध बच्‍चे के लिए सम्‍पूर्ण आहार है।