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13 प्वाइंट रोस्टर की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली लागू करने की मांग को लेकर भाकपा (माले) प्रदर्शन करेगी

लखनऊ. भाकपा (माले) ने विश्वविद्यालयों में अध्यापक नियुक्ति में कमजोर वर्गों को आरक्षण का लाभ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मौजूदा 13 प्वाइंट रोस्टर की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली लागू करने के लिए मोदी सरकार से अध्यादेश लाने की मांग की है। पार्टी ने 10 प्रतिशत आर्थिक आरक्षण और 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के जरिये शिक्षा व नौकरियों में संविधान प्रदत्त आरक्षण को खत्म करने की साजिश के खिलाफ धरना-प्रदर्शन करने का फैसला किया है।

पार्टी ने रविवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि मोदी सरकार 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण देने का दिखावा तो कर रही है, लेकिन इसके जरिये वह दरअसल संविधान में आरक्षण की संकल्पना की बुनियाद पर हमला कर रही है। यह संकल्पना थी जातीय आधार पर छुआछूत, भेदभाव, अलगाव, अपमान, सामाजिक बहिष्करण आदि को दूर करने के लिए और शिक्षा व नौकरियों में उत्पीड़ित जातियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए आरक्षण देने की व्यवस्था। लेकिन मोदी सरकार इस बुनियाद में छेद कर प्रकारांतर से आरक्षण को ही खत्म करने पर तुली है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा के अनुरूप है।

यदि मोदी सरकार को उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण का लाभ वास्तव में आदिवासी-दलित-पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों को दिलाना होता, तो 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली लागू करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दाखिल याचिका सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में खारिज न की जाती। माले ने कमजोर जातियों की भागीदारी से जुड़ी इस याचिका को खारिज करने के फैसले से असहमति जताते हुए कहा कि वर्तमान में लागू 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली से आरक्षण मिलना नामुमकिन हो गया है, क्योंकि इसमें विश्वविद्यालय, कॉलेज या संस्थान की जगह विभाग को इकाई मान कर रिक्तियां भरी जाती हैं। इससे किसी भी एक विभाग में एक समय में विज्ञापित इतनी रिक्तियां होती ही नहीं, जिसमें कि आरक्षण लागू किया जा सके।

पार्टी ने शिक्षा, रोजगार समेत 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के लिए ‘यंग इंडिया अधिकार मार्च’ नाम से छात्र-युवा संगठनों द्वारा चलाये जा रहे देशव्यापी अभियान और इसके समापन पर 7 फरवरी को दिल्ली में होने वाले संसद मार्च का समर्थन किया।

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