साहित्य - संस्कृति

दलित राजनीति और दलित साहित्य के रास्ते अलग हैं-बजरंग बिहारी तिवारी

गोरखपुर। दलित साहित्य के प्रमुख अध्येता प्रो बजरंग बिहारी तिवारी ने कहा कि दलित आंदोलन फूले और अंबेडकर की वैचारिकी से आया। दलित राजनीति और दलित साहित्य के रास्ते अलग हैं, इसलिए इस पर काम करते हुए, इस पर चलते हुए इस पर ध्यान रखना ज़रूरी है कि हमें किस रास्ते पर चलते हुए समाज का काम करना हैl

प्रो बजरंग बिहारी तिवारी प्रेस क्लब सभागार में आयाम द्वारा दलित, पसमांदा एवं बहुजन : साहित्य और समाज का सच विषय पर आयोजित सेमिनार के दूसरे दिन बोल रहे थे।

इस सत्र में  फैयाज़ अहमद फ़ैज़ी ने कहा की इस्लाम धर्म में जातियाँ नहीं है,यह बार बार कहा जा सकता है लेकिन सच यह है की इस्लाम में भी जातियाँ हैं और इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं l इस्लाम की किताबों में भी जातियाँ और नस्लें हैं l हम दूर ना जाये इसी पूर्वांचल में मुसलमान नटो , धोबियों , जुलाहों के अलग मस्जिद हैं क्योंकि अगड़े मुसलमानो के मस्जिदों में वे जा नहीं सकते हैं l

इसी सत्र में वी आर विप्लवी ने कहा की जाति और धर्म एक दूसरे के अनुसंगिक हैं l डॉ अंबेडकर ने कहा था कि सामाजिक लोकतंत्र के बिना राजनैतिक लोकतंत्र स्थापित नहीं किया जा सकताl इसलिए ये ज़रूरी हो जाता कि हम समाज में सामाजिक लोकतंत्र लाने के लिए लगें l

प्रो चौथीराम यादव ने कहा की लेखक होना बड़ी बात है, बड़ा लेखक होना और बड़ी बात है, लेकिन किसी लेखक का बड़ा मनुष्य होना सबसे बड़ी बात है।

दोनों सत्रों में प्रो कमलेश वर्मा, डॉ सिद्धार्थ, असीम सत्यदेव, मनोज सिंह, इमामुदीन, श्रीधर मिश्र ने भी बात रखी l

कार्यक्रम का संचालन अजय सिंह ने किया l इस अवसर पर मदन मोहन, राजा राम चौधरी, अशोक चौधरी, नित्यानंद अगरवाल्, अरविंद त्रिपाठी,मोहन आनन्द आजाद आदि उपस्थिति रहे l धन्यवाद ज्ञापन देवेंद्र आर्य ने किया ।