हरियाणा के बल्लभगढ़ से चले देवरिया के मजदूर मथुरा के कोसीकलां में फंसे, नहीं मिली कोई बस

यूपी और बिहार के एक हजार से अधिक मजदूर फंसे हुए हैं कोसीकलां में

गोरखपुर। देशव्यापी लाॅक डाउन के बाद यूपी और बिहार के मजदूर बड़ी त्रासदी के शिकार हैं। उन्हें अपने गांव-जिला जाने के लिए लगातार पैदल चलना पड़ा है। लाॅक डाउन के दुसरे दिन भी उन्हें उनके गांव-जिला पहुंचाने की व्यवस्था बिहार और यूपी की सरकार नहीं कर पायी है हलांकि इस बारे में कई घोषणाएं की गई हैं। देवरिया के 10 मजदूर हरियाणा के बल्लभगढ़ से गुरूवार की शाम पैदल चले और देर रात मथुरा जिले के कोसीकलां तक पहुंचे। पूरे दिन वे यहीं फंसे रहे क्योकि शाम तक सरकार-प्रशासन यातायात का कोई सााधन उपलब्ध नहीं करा पायी।

शुक्रवार की सुबह कुछ बसें उन्हें लेने के लिए जरूर आयीं लेकिन किराया को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं होने के कारण वह रवाना नहीं हुई। मजदूरों ने बताया कि कोसीकलां में एक हजार से ज्यादा मजदूर फंसे हुए हैं।

देवरिया के इन दस मजदूरों की व्यथा कथा गोरखपुर न्यूज लाइन ने 25 मार्च को प्रकाशित की थी। ये दस मजदूर बघौचघाट के पास कोइरीपति गांव के रहने वाले हैं। ये सभी एक पखवारे पहले हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ के पास सिकड़ी गांव में एक कन्सट्रक्शन वर्कशाप में काम करने आए थे। इस वर्कशाप में बिल्डिंग के लिए कालम तैयार करने का कार्य होता है। कोरोना महामारी के चलते लाकडाउन की घोषणा होने के बाद इनको यहां काम देने वाला ठेेकेदार इन्हें कुछ बताए भाग गया। इसके बाद इन मजदूरों को वपास अपने गांव लौटने का चारा नहीं था। इनके साथ बिहार के मोतीहारी जिले के का भी एक मजदूर उज्जवल दूबे भी है।

ये सभी बल्लभगढ़ से गुरूवार को अपरान्ह बाद चार बजे पैदल चले। छह घंटे तक करीब 24 किलोमीटर पैदल चलने के बाद वे पलवल पहुंचे जहां उन्हें एक बस मिल गयी। बस चालक ने उन्हें मथुरा के तीन किलोमीटर पहले पहुंचाने का वादा किया लेकिन वह उन्हें कोसीकलां छोड़कर ही चला गया। पूरी रात इन मजदूरों ने कोसीकलां के मंडी परिसर में गुजारी। यहां दिल्ली, हरियाणा व अन्य प्रांतों से अपने गांव के लिए चले एक हजार मजदूर भी थे।

आज सुबह से ये सभी मजदूर यातायात के साधन का इंतजार करने लगे। देवरिया के मजदूर आशुतोष यादव ने बताया कि यहां रूके मजदूरों में यूपी व बिहार के कई जिलों के हैं। आज सुबह झांसी के मजदूरों को ले जाने के लिए तीन बसें आयीं और रवाना भी हुईं लेकिन कुछ देर बाद वे सभी को वापस लेकर आ गयीं। मजदूरों का कहना था कि सरकार ने उन्हें गंतव्य तक पहुंचाने के लिए ये बसें निश्शुल्क पहुंचायी हैं लेकिन उनसे किराया मांगा जा रहा था। बस चालक व परिचालक का कहना था कि उन्हें किराया न लेने के बारे में कोई आदेश नहीं मिला है।

देवरिया के मजदूर सुबह दस बजे कानपुर तक जाने वाली एक बस में तैयार हुए। इसमें  कानपुर व अन्य स्थानों तक जाने वाले मजदूर भी थे। बस के चालक व परिचालक द्वारा कहा गया कि कानपुर तक के लिए उन्हें छह सौ रूपए देने पड़ेंगे। अधिकतर मजदूर किराया देने को तैयार थे लेकिन दोपहर ढाई बजे तक यह बस चली ही नहीं और बाद में कह दिया गया कि अब कोई बस नहीं जाएगी।

मजदूरों ने बताया कि मंडी परिसर से बाहर जाने से रोकने के लिए कुछ देर तक उसका गेट भी बंद कर दिया गया था। कुछ मजदूर किसी तरह मंडी परिसर से बाहर निकल गए। रात तक इन मजदूरों को ले जाने के लिए प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं हो सकी थी।