समाचार

कविता भीतर से बदलने का काम करती है : डा0 विनय

गोरखपुर। प्रेस क्लब के सभागार में रविवार को देवेन्द्र आर्य की पुस्तक ‘ मन कबीर ‘ की पुस्तक का लोकार्पण किया गयाl कवि देवेन्द्र आर्य की इस पुस्तका प्रकाशन दिल्ली के न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन ने एक साथ सात भाषा मेंं किया है l

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए कवि और पेशे से मनोचिकित्सक , पटना से आये इंडियन साएकेट्रिस सोसाइटी के वाइस प्रेसिडेंट डॉ विनय कुमार ने कहा कि कविता भीतर से बदलने का काम करती हैl देवेन्द्र आर्य की ग़ज़लें हमें भीतर से बदलने के लिए विवश ही नहीं करती हैं बल्कि हमारे भीतर इस प्रक्रिया की शुरूआत कर देती हैl उन्होंने कहा की कविता हमारे अवचेतन मन में घटनाओं के संग्रहण का प्रस्फुटन हैl

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे साहित्य अकादमी के हिंदी भाषा के संयोजक प्रो चितरंजन मिश्र ने कहा कि कबीर मन को बदलना चाहते हैं और कविता का काम भी मन को बदलना ही होता है l कविता ने कैसे मनुष्य को बदला उसकी पूरी फेहरिस्त बनाई जा सकती है l एक कविता और एक छोटे नाटक ने कैसे गांधी पैदा किया यह देखा जा सकता है l गीता में भगवान ने नहीं बल्कि जो बोला गया वह रचनाकार का बोला है। इस रूप में रचनाकार का काम और दायित्व दोनों बड़ा होता है जिसे देवेंद्र आर्य बखूबी कर रहे हैंl

उन्होंने आगे कहा की कविता बार बार हमको अपनी खोयी हुई दुनिया को वापस करती हैl इस अवसर पर कवि और आलोचक श्रीधर मिश्र ने कहा की देवेन्द्र आर्य मन और चेतना के कवि हैं l देवेंद्र की रचनाओं में बिंब के शब्द चित्र उनकी कल्पना के द्वारा एंद्रिक अनुभवों के आधार पर निर्मित होते हैं, जिनके माध्यम से वे वस्तुओं के आंतरिक सादृश्य का प्रत्यक्षीकरण करते हैं। यही कारण हैं की उनके बिम्ब बड़ी सहजता से प्रतीक बन जाते हैं l

इस अवसर पर गजलकार सरवत ज़ामल ने कहा की देवेन्द्र आर्य की गजल में भाषा का जो भूमिका है वो सबसे महत्वपूर्ण है l इस भाषा के लिए देवेंद्र जी ने बाकायदा उर्दू भाषा सीखी है l गोरखपुर विश्विधायलय के ललित कला विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ भारत भूषण ने कहा की देवेन्द्र आर्य की कविता से गुजरते हुए हम उस चित्र को ठीक ठीक देख पाते है जो देवेन्द्र हमें बता रहे होते हैं l

इस अवसर पर देवेन्द्र आर्य ने अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए अपनी एक ग़ज़ल पढ़ी l

डा. वेद प्रकाश पाण्डेय ने कहा देवेन्द्र आर्य दुनिया का सबसे कठिन और खूबसूरत काम कर रहें हैं और महत्वपूर्ण यह है कि उनकी सभी कविताएँ बहुत ऊच्च कोटि की हैं। कार्यक्रम का संचालन युवा कथाकार अमित कुमार तथा धन्यवाद ज्ञापन आलोचक अजय कुमार सिंह ने किया।

कार्यक्रम में प्रो चंद्र भूषण अंकुर, आलोचक और चिंतक डॉ अलख निरंजन, आलोचक कपिल देव त्रिपाठी, सुभाष चौधरी, जगदीश लाल श्रीवास्त्व, रविंद्र मोहन त्रिपाठी, अशोक चौधरी, असीम सत्यदेव, राजाराम चौधरी, चतुरानन ओझा, प्रदीप कुमार, श्रीमती आशा श्रीवास्तव, कवि विनय अज़ीज़, संजय आर्य, कुमार अभिनीत, राघवेंद्र दुबे भाऊ, हिमांशु सहुलियार, कामिल खां, प्रवीण श्रीवास्तव, डा. कमलेश गुप्त, कलीमूल हक़, श्री नारायण पाण्डेय,विशेष रूप से उपस्थित थे l

Related posts