अनुमंडल अधिकारी ने गंडक बराज का निरीक्षण किया

कुशीनगर। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित गंडक बराज के फाटक समेत अन्य सुरक्षा पहलुओं पर बाढ़ पूर्व तैयारियों का जायजा अनुमंडल पदधिकारी विशाल राज ने लिया। गंडक बराज का बाढ़ पूर्व तैयारियों के मद्देनजर उन्होंने गंडक बराज का निरीक्षण किया।

इस अवसर पर जल संसाधन विभाग वाल्मीकि नगर के कार्यपालक अभियंता मोहम्मद जमील अहमद, सहायक अभियंता विकास कुमार, कनीय अभियंता अभिषेक कुमार और विकास कुमार के अलावा प्रमोद कुमार सिंह, सिकंदर आजम और सहायक अभियंता इंद्रनाथ प्रसाद, एस्काडा ऑपरेटिंग सिस्टम ऑपरेटर मनीष कुमार आदि मौजूद रहे।

कार्यपालक अभियंता श्री अहमद ने अनुमंडल पदाधिकारी को गंडक बराज नियंत्रण कक्ष से संबंधित स्काडा सिस्टम मैनुअल और इलेक्ट्रिक सिस्टम की जानकारी दी जिसके तहत गंडक बराज के फाटकों का परिचालन किया जाता है।

उन्होंने यह भी बताया कि बाढ़ पूर्व तैयारियों के मद्देनजर नेपाली परीक्षेत्र में पड़ने वाले फाटकों के को बदलना था किंतु नेपाल के सीडीओ द्वारा कोरोना वायरस महामारी के कारण लाकडाउन की स्थिति में कार्य शुरू शुरू करने की अब तक अनुमति प्राप्त नहीं हो सकी है। इसके लिए कई बार नेपाली अधिकारियों से पत्राचार किया जा चुका है।

उत्तर प्रदेश गोरखपुर के सिंचाई विभाग द्वारा मुख्य पश्चिमी नहर में 5000 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज की मांग की गई है जिसे अब तक नहीं दिया जा सका है जिससे खेती- किसानी प्रभावित हो रही है क्योंकि पानी छोड़े जाने की स्थिति में मुख्य पश्चिमी नहर का पर्यवेक्षण अत्यंत जरूरी है किंतु नेपाली अधिकारियों के द्वारा नेपाली क्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं प्राप्त हो सकी है वही नेपाली क्षेत्र में में गंडक बराज के दाएं तटबंध एफ्लक्स बांध पर कटाव निरोधी कार्य शुरू किया गया था किंतु लॉक डाउन के कारण बांध के मरम्मत का कार्य पर भी रोक लगा दी गई है जिससे गंडक बराज के बांध समेत गंडक बराज के फाटको पर भी बाढ़ के समय पानी के दबाव का खतरा मंडरा रहा है।

अनुमंडल पदाधिकारी विशाल राज ने बताया कि बताया कि सभी गेट मैनुअली स्काडा सिस्टम और इलेक्ट्रिकली ऑपरेट हो रहे हैं। कुछ गेट में जहां लीकेज थी वहां सील बदले गए हैं। ग्रेसिंग और वायलिग कर दी गई है। गेट नंबर 29, 31 और 34 में हल्का बैंड है किंतु ऑपरेशन में कोई समस्या नहीं है। अधिकारियों को गंडक बराज के रखरखाव को चुस्त-दुरुस्त रखने की निर्देश दिया गया ताकि बाढ़ के समय सभी गेट को संचालित करने में है कोई परेशानी नहीं हो।

गंडक बराज की क्षमता 7.30 लाख क्यूसेक पानी की है। डाउनस्ट्रीम में बहाव के बाद और कहीं तेज पानी के प्रवाह के कारण क्षति पहुंचती है तो उसका मेंटेनेंस युद्ध स्तर पर किया जाएगा। सभी गेट का सुरक्षा जांच कई बिंदुओं से किया गया है जिससे आगामी बाढ़ के समय गंडक बराज पर किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न हो सके। अनुमंडल पदाधिकारी ने काली मंदिर बेलवा घाट से महाकालेश्वर मंदिर तक शुरू किए गए एन्टी रोजन वर्क के तहत पर्यटकों के लिए बन रहे एप्रोच पथ एप्रोच पथ का भी मुआयना किया।