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सीएए-एनआरसी के विरोध में गोरखपुर में कई इलाकों में व्यापक बंदी

प्रदर्शन करने जा रहे बहुजन क्रांति मोर्चा के कार्यकर्ताओं को पुलिस ने नार्मल परिसर में ही रोका, बैनर, तख्ती जब्त

गोरखपुर। सीएए, एनआरसी व एनपीआर को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। बामसेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बहुजन क्रांति मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक वामन मेश्राम ने सीएए व एनआरसी के विरोध में 29 जनवरी को भारत बंद का ऐलान किया था जिसका गोरखपुर में मिलाजुला असर देखने को मिला। अल्पसंख्यक इलाकों में दुकानें बंद रहीं। पान, मसाला की दुकान से लेकर होटल तक बंद रहे।

जाफरा बाजार, शाहमारूफ, घंटाघर, नखास, रेती, मदीना मस्जिद तिराहा, उर्दू बाजार, बैंक रोड, टॉउनहाल, गोलघर, गोरखनाथ, जाहिदाबाद, रसूलपुर, बक्शीपुर, मियां बाजार, जाहिदाबाद, हुमायूंपुर, सैयद आरिफपुर, चौरहिया गोला, निज़ामपुर, इलाहीबाग, तुर्कमानपुर, अफगानहाता, साहबगंज, खूनीपुर, कोतवाली, पांडेहाता सहित तमाम क्षेत्रों में मुसलमानों की दुकानें पूरी तरह से बंद रहीं। कुछ गैर मुस्लिमों ने भी दुकान बंद रखीं। मुस्लिम मोहल्लों में छोटी-छोटी दुकानें भी बंद रहीं। बंदी का व्यापाक असर मुस्लिम बाहुल्य व मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में ज्यादा दिखा। आमदिनों की अपेक्षा बुधवार को सड़कों पर चहलपहल कम रही।

बहुजन क्रांति मोर्चा ने मंगलवार को बंदी में समर्थन के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पर्चा बांटकर पोस्टर लगाया था। बंदी को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। मोर्चा ने जो पर्चा बांटा था उसमें लिखा हुआ था कि दोषपूर्ण एनआरसी और संविधान विरोधी सीएए कानून के विरोध में राष्ट्रव्यापी चरणबद्ध आंदोलन एक साथ 31 राज्यों और 550 जिलों में चलाया जा रहा है। उसी कड़ी में भारत बंद का आह्वान किया गया है। पर्चे में तीन मांगे हैं, डीएनए बेस्ड एनआरसी लागू हो, सीएए 2019 व ईवीएम हटा जाए। पर्चे में एनआरसी, सीएए, ईवीएम की खामियों व डीएनए बेस्ड एनआरसी के फायदे पर विस्तृत प्रकाश डाला गया।

मोर्चा के लोगों को नार्मल परिसर व अम्बेडकर चौक से दुकाने बंद करने का आह्वान करते हुए सड़क पर उतरना था। मोर्चा के सैकड़ों कार्यकर्ता नार्मल परिसर में जमा भी हुए। हाथों में तख्तियां बैनर थे। जैसे ही कार्यकर्ताओं ने परिसर से आगे बढ़ने की कोशिश की, पुलिस ने उन्हें रोक लिया।

मोर्चा का नगर निगम स्थित रानी लक्ष्मीबाई पार्क व रुस्तमपुर में सभा करने का भी इरादा था। जो पुलिस के दबाव में पूरा न हो सका। बंदी का कई संगठनों ने समर्थन किया। पुलिस ने किसी को हिरासत में नहीं लिया। आला अधिकारियों ने स्थिति पर बराबर नज़र बनाए रखी।

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