गोरखपुर। सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीर नगर व गोरखपुर जिलों से होकर गुजरने वाली आमी नदी औद्योगिक एवं नगरीय कचरे के कारण लगातार विषाक्त होती जा रही है. आमी नदी में औद्योगिक कचरा डाले जाने से उनवल और उसके आस पास बड़ी संख्या में मछलिया मरगई हैं. आमी बचाओ मंच ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन जी टी) की रोक के बावजूद नदी में औद्योगिक कचरा डाले जाने पर आक्रोश व्यक्त किया है.
एनजीटी की रोक के बावजूद आमी नदी में उद्योगों का जहरीला कचरा खुल्लमखुल्ला डाला जा रहा है। करीब सप्ताह भर पहले प्रधानमंत्री के मगहर दौरे के दौरान प्रशासन द्वारा आमी नदी की सफाई करने और आमी नदी के साफ होने का जोर शोर से दावा किया गया किन्तु उनवल, जरलही, कूड़ा भरथ, कटका आदि गाँवो के समीप प्रदूषण के कारण आज हुई मछलियों की मौत ने नदी साफ करने के प्रशासन के दावे की पोल खोल दी है।
सितम्बर 2015 से ही आमी बचाओ मंच के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह की याचिका पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने किसी भी प्रकार के औद्योगिक एवं नगरीय कचरे को नदी में डालने से रोक लगा रखा है, इसके बावजूद नदी में लगातार कचरा नदी डाला जा रहा है।
मंच के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने कहा कि लम्बे समय से गीडा में स्वीकृत कामन इंफ्लुएंट ट्रीटमेन्ट प्लांट (सीईटीपी) की स्थापना के लिए केंद्र सरकार द्वारा धन जारी न करना, मगहर व खलीलाबाद में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश के बाद भी अभी तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट न लगाया जाना और दोषी उद्योगों के खिलाफ एनजीटी के आदेशो के बाद भी सिर्फ कागजी कार्यवाही करना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्रशासन एवं पुंजीपतियो के दुरभिसंधि को उजागर करता है।
इस कारण महान संत कबीरदास के अंतिम दिनों व भगवान बुद्ध के सन्यास की साक्षी इस इलाके की जीवनदायिनी आमी नदी का अस्तित्व ही खत्म होने की हालात पैदा हो गए हैं.