एक परिवार के चार सदस्य कोरोना से लड़कर स्वस्थ घर लौटे, क्रियेटिव क्रू ने बनायी यू-ट्यूब डाक्यूमेंट्री

गोरखपुर। कोरोना को लेकर कई तरह के भय और भ्रांति से लड़ना है तो कोरोना चैंपियन श्रेयांश के परिवार की कहानी सभी को सुननी चाहिए। इस परिवार के चार-चार सदस्य कोरोना उपचाराधीन रहे और मजबूत इरादों के साथ बीमारी को हरा कर घर लौटे। स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से क्रियेटिव क्रू ने इस परिवार पर एक यू-ट्यूब डाक्यूमेंट्री फिल्म तैयार की है जिसमें चैंपियन श्रेयांश उस वक्त की पूरी दास्तान को बता रहे हैं।

फिल्म में कोरोना चैंपियन श्रेयांश ने बताया, ‘‘मैं शाहपुर गोरखपुर का निवासी हूं। पेशे से वकील हूं और साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहा हूं। 19 जून को मेरे पापा ने बताया कि उनमे कुछ शारीरिक बदलाव महसूस हो रहा है। हमारे मन में पहले तो डर नहीं था कि यह कोरोना हो सकता है। जब डॉक्टर ने सम्भावना जताई तो थोड़ा सा डर लगा। घर पर ही टेस्ट हुआ और उसके बाद पापा का रिजल्ट पॉजीटिव आया। वहां से एक अलग तरीके की इमोशनल पीड़ा हम लोगों ने झेला, जो शायद पहले अनुभव नहीं किया था। यह नई किस्म की बीमारी है, सूचनाएं कम हैं। व्यक्तिगत तौर पर मैं कह सकता हूं कि मुझे ब्लड प्रेशर महसूस होने लगा। पसीने आ रहे थे। डर लगने लगा था। उनके पॉजीटिव आने के बाद हम सबकी जांच हुई और सब पॉजीटिव आये। मेरी मां रो रही थीं, मेरी बहन बहुत परेशान थी। इन परिस्थितियों में सकारात्मकता बनाए रखना कठिन हो गया था।’’

श्रेयांश मम्मी , पापा और बहन के साथ

 

फिल्म के जरिये श्रेयांश ने विस्तार से बताया है कि अस्पताल में जाने के बाद वैसा कुछ नहीं था जैसा उन्होंने सोचा था। वहां एक परिवार जैसा माहौल बन गया था। वह रेलवे हॉस्पिटल की व्यवस्था की तारीफ करते हैं और कहते हैं कि थोड़ी बहुत दिक्कतें हुईं भी तो बताने के बाद उनका समाधान किया गया।

श्रेयांश ने बताया, ‘‘हमे सिस्टम से बहुत अच्छी मदद मिली। सीएमओ ने पर्सनली कॉल किया। कहा गया कि आप डरिये मत। हम सब लोग आपके साथ हैं। यह एक बड़ा मोरल सपोर्ट था। करीबी मित्रों और रिश्तेदारों से बहुत अच्छा सपोर्ट मिला। इस दौरान मैं खुद इस बारे में बहुत सतर्क था। पढ़ रहा था कि रिकवरी बहुत अच्छी है।’’

उनकी सलाह है कि मरीजों को चाहिए कि वह कोरोना उपचार के दौरान अपना मन बीमारी से हटा कर दूसरी जगहों पर लगाएं। श्रेयांश ने एक जानवरों पर आधारित शो देख कर अपना मनोबल बनाए रखा। डाक्यूमेंट्री फिल्म के जरिये चैंपियन श्रेयांश ने संदेश दिया है कि सभी लोग ऐसे वक्त में अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें तभी संपूर्ण स्वास्थ्य ठीक रखा जा सकेगा।

मॉस्क पहनना नैतिक जिम्मेदारी भी

श्रेयांश का कहना है कि मॉस्क पहनना सबसे पहले एक नैतिक जिम्मेदारी है। यह जिम्मेदारी अपने परिवार के प्रति और दोस्तों के प्रति है। घर में बूढ़े मां-बाप हैं और बच्चे हैं तो जरूरी नहीं कि उनकी प्रतिरोधक क्षमता आप जैसी ही हो। यह विधिक दायित्व भी है। एपिडेमिक कंट्रोल एक्ट में भी इसका उल्लेख किया गया है। संक्रमण न फैले यह सभी की विधिक जिम्मेदारी भी है। अगर कोई मास्क लगाता है और शारीरिक दूरी का पालन करता है तो वह नैतिक और विधिक दोनों जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहा है।

भय खत्म करना उद्देश्य

क्रियेटिव क्रू के निदेशक अश्विन आलोक ने बताया कि क्रिएटिव क्रू इस तरह के सामाजिक मुद्दों पर सदैव समाज को सजग करने के लिये प्रयासरत रहता है। कोविड-19 के प्रति भय समाप्त करने के लिए यह फिल्म तैयार किया है। इसे तैयार करवाने में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. नीरज कुमार पांडेय, जिला क़्वालिटी कंसलटेंट डॉ मुस्तफा और उप जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी सुनीता पटेल ने विशेष तौर पर सहयोग किया है।