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कल्याणकारी राज्य और लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए गाँधीवादियों को आगे आना होगा : प्रो. आनन्द कुमार

गोरखपुर। राजीव गांधी स्टडी सर्किल, गोरखपुर के तत्वावधान में 16 दिसम्बर को शाम 5 बजे से आयोजित “गाँधीवाद की सामयिक प्रांसगिकता ” विषय पर गोष्ठी का आयोजन झारखंडी, कूड़ाघाट कार्यालय में किया गया।

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अंतरराष्ट्रीय ख्यातिलब्ध समाजशास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि भारत ने बीसवीं सदी के अंतिम दशक में आर्थिक सुधारों के माध्यम से कल्याणकारी राज्य की अवधारणा से अलग हटकर उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण को महत्व दिया। इसे भारत आर्थिक नीति में ‘प्रतिमान बदलाव’ के रूप में जाना जाता है। इसने एक तरफ भारत में पूंजी के प्रभाव को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाया और दूसरी तरफ गैर लोकतांत्रिक प्रणाली को प्रश्रय दिया। बाजार के बढ़ते प्रभाव और लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण को रोकने के लिए यह आश्चर्य की बात नहीं रही कि गांधीवादियों ने कई मोर्चों पर इसका विरोध किया। ग्रामोद्योग, पारिस्थितिक विनाश, उपभोक्तावाद और भ्रष्टाचार को रोकने में गाँधीवाद आज भी एक सशक्त विकल्प है। वैश्विक पूंजीवाद और अंध राष्ट्रवाद के इस दौर में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को वापस लाने और लोकतंत्र को बचाने के गांधीवादियों को आगे आकर प्रतिकार करना होगा।

राजीव गाँधी स्टडी सर्किल गोरखपुर जोन के समन्वयक डॉ. प्रमोद कुमार शुक्ला ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर हो रहे सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक पतन को रोकने में गाँधीवाद प्रांसगिकता पर कोई प्रश्न नही है।तमाम समस्याओं के बीच गाँधीवाद ही मानवतावादी विकल्प है।

बैठक में आलोक शुक्ला, मार्कण्डेय मणि त्रिपाठी, डॉ सत्यवान यादव , डॉ गंगेश पांडेय, डा आनन्द पांडेय, डा विनय कुमार, डा स्लाविद्दीन अंसारी, डा उमेश पांडेय, डा श्रीधर मिश्र समेत अनेक विद्वतजन उपस्थित रहे।