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गोरखपुर विश्वविद्यालय बैकफुट पर, प्रो कमलेश का निलम्बन और शिक्षकों की वेतन कटौती का आदेश वापस

गोरखपुर। आंदोलन से दबाव में आए गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने मंगलवार को हिंदी विभाग के प्रो कमलेश कुमार गुप्त का निलम्बन वापस ले लिया। साथ ही प्रो कमलेश गुप्त के सत्याग्रह का समर्थन करने वाले सात प्रोफेसरों के एक दिन के वेतन कटौती का आदेश भी स्थगित कर दिया गया है। इन मांगों को लेकर आमरण अनशन कर रहे पूर्व संविदा शिक्षक डाॅ सम्पूर्णानंद मल्ल ने मंगलवार को 13वें दिन अपना आमरण अनशन एक महीने के लिए स्थगित कर दिया। हालांकि प्रो कमलेश कुमार गुप्त ने कुलपति को हटाने की मांग को लेकर अपना सत्याग्रह जारी रखने की घोषणा की है।

गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से मंगलवार की शाम विज्ञप्ति जारी कर कहा कि ‘ जांच समिति की अंतरिम संस्तुति को स्वीकार करते हुए हिंदी विभाग के आचार्य प्रो कमलेश कुमार गुप्त का निलंबन समिति की अंतिम रिपोर्ट प्राप्त होने तक रिवोक करने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने सात शिक्षकों का एक दिन के रुके हुए वेतन के आदेश को भी स्थगित करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि सभी सम्बंधित शिक्षकों से अपेक्षा की जाती है कि वो पूर्ण सत्यनिष्ठा और कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगें तथा विश्वविद्यालय की परिनियमावली में निहित आचार संहिता का अनुपालन करेंगें। ’

प्रो कमलेश कुमार गुप्त को 21 दिसम्बर को निलम्बित कर दिया गया था। प्रो गुप्त कुलपति को हटाने की मांग को लेकर उस दिन सत्याग्रह पर बैठे थे। उनके सत्याग्रह के समर्थन में विश्वविद्यालय के सात प्रोफेसर भी आए थे। इन सात प्रोफेसर का एक दिन की वेतन कटौती का आदेश जारी किया गया था।

प्रो गुप्त के निलम्बन, शिक्षको के निलंबन और वेतन कटौती, तथा प्री पी एच डी की परीक्षा का बहिष्कार करने वाले शोधार्थियों पर आपराधिक मुकदमे दर्ज किए जाने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था। शहर के विभिन्न संगठन मुखर होकर आवाज उठा रहे थे। पूर्व संविदा शिक्षक डाॅ सम्पूर्णानंद मल्ल ने आमरण अनशन शुरू कर दिया। जब वे विश्वविद्यालय गेट पर आमरण अनशन करने पहुंचे तो प्रशासन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती करा दिया। उन्होंने अस्पताल में भर्ती रहते हुए भी आमरण अनशन जारी रखा। उनको समर्थन देने के लिए विभिन्न संगठनों के लोग रोज अस्पताल पहुँच रहे थे।

राजनीतिक दल भी इस मुद्दे को उठाने लगे थे। गोरखपुर शहर से चुनाव लड़ रहे आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद ने भी इस मुद्दे को उठाया तो समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष अवधेश यादव और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी विजय कुमार श्रीवास्तव अनशन कर रहे डाॅ सम्पूर्णानंद मल्ल से मिलने जिला अस्पताल पहुंचे।

आंदोलन के बढ़ते जाने और विधानसभा चुनाव में इसको एक प्रमुख मुद्दा बनता देख न सिर्फ विश्वविद्यालय प्रशासन बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा भी परेशान हो रही थी। समझा जाता है कि इसी कारण विश्वविद्यालय प्रशासन बैकफुट पर आ गया और उसने प्रो गुप्त का निलम्बन और सात शिक्षकों के वेतन कटौती का आदेश स्थगित कर दिया।

विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्णय के बाद अपर जिलाधिकारी (नगर) के नेतृत्व में उपजिलाधिकारी(न्यायिक) ,मुख्य चिकित्साधिकारी के साथ प्रशासनिक अमला ने डॉ मल्ल से मुलाकात की। अपर जिलाधिकारी (नगर) ने डॉक्टर संपूर्णानंद मल्ल को अवगत कराया कि उनकी दो मांगों- प्रोफेसर कमलेश गुप्ता का निलंबन और सात शिक्षकों की वेतन कटौती वापस मान ली गई है। प्रीपीएचडी के 17 विद्यार्थियों एवं अन्य पर हुए केस व परीक्षा संबंधी अधिकारों की बहाली को भी स्वीकार कर लिया गया है। कुलपति के खिलाफ जांच समिति गठित करने या कुलपति को बर्खास्त करने संबंधी मांग पर अधिकारियों ने कहा कि इस सम्बन्ध में डाॅ मल्ल के प्रत्यावेदन को राज्यपाल को भेज दिया जाएगा।

इसके बाद डाॅ मल्ल ने आमरण अनशन स्थगित करने का निर्णय लिया। अपर जिलाधिकारी (नगर), उपजिलाधिकारी (न्यायिक) तथा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर चितरंजन मिश्र ने डॉक्टर संपूर्णानंद को जूस पिलाकर आमरण अनशन को स्थगित कराया। डाॅ मल्ल ने कहा कि वे आमरण अनशन को एक माह के लिए स्थगित कर रहे हैं।

इसके पहले गोरखपुर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालीय शिक्षक संघ गुआक्टा के अध्यक्ष डॉ के डी तिवारी और महामंत्री डॉ धीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कुलपति से मुलाकात कर डॉ संपूर्णानंद मल्ल की न्यायोचित मांगो का समर्थन किया। कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि विश्वविद्यालय द्वारा गठित कमेटी के रिपोर्ट के आलोक में कमलेश गुप्ता का निलंबन वापस किया गया है एवं सात शिक्षकों का एक दिन का कटा वेतन भी रिस्टोर कर दिया गया है। डॉक्टर संपूर्णानंद मल द्वारा किया गया अनशन से संबंधित अधिकांश मांगे पहले ही पूरी कर दी गई है। ऐसे में उन्हें अपना अनशन समाप्त कर देना चाहिए।

गुआक्टा ने भी डॉ मल्ल से अपील किया कि विश्वविद्यालय के हित एवं अनमोल जीवन सुरक्षित रखने के लिए उन्हें अपना अनशन समाप्त कर देना चाहिए।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर चितरंजन मिश्रा के साथ प्रोफेसर उमेश नाथ त्रिपाठी, प्रोफेसर अजेय गुप्ता, प्रोफेसर कमलेश गुप्ता, प्रोफेसर दिग्विजय मौर्य ने भी डॉ संपूर्णानंद मल्ल से मिल कर आमरण अनशन स्थगित करने की अपील की।

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