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स्वास्थ्य विभाग ने गोरखपुर में डेंगू के 20 केस की पुष्टि की

डेंगू के संदिग्ध मामलों की सूचना पर 80 से ज्यादा स्थानों पर  निरोधात्मक कार्यवाही

गोरखपुर. गोरखपुर जिले में सरकारी स्तर पर डेंगू के 20 केस की पुष्टि की गई है. स्वास्थ्य विभाग की यह भी कहाँ है कि प्राइवेट अस्पतालडेंगू के केस की उन्हें रिपोर्ट नहीं कर रहे हैं.

मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) डा. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि जिले में अब तक डेंगू के 20 मामलों की पुष्टी हो चुकी है, हांलाकि जहां से संदिग्ध मामलों में भी सूचना आई है वहां भी निरोधात्मक कार्यवाही की गयी है। करीब 80 से अधिक स्थानों पर एंटी लार्वल का छिड़काव, फागिंग और जनजागरूकता के कार्यक्रम चलाए जा चुके हैं।

अपर मुख्य चिकित्साधिकारी (एसीएमओ) डा. आईवी विश्वकर्मा का कहना है कि डेंगू की रोकथाम में निजी क्षेत्र से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। बार-बार निजी पैथालाजी और अस्पतालों से कहा गया है कि डेंगू का मरीज चिन्हित होने या भर्ती करने के बाद तुरंत स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट करें ताकि मरीज का एलाइजा टेस्ट करा कर डेंगू कंफर्म किया जा सके। साथ ही निरोधात्मक कार्यवाही भी की जाए। सिर्फ दो अस्पतालों को छोड़ कर कोई भी अस्पताल डेंगू मरीजों से संबंधित सूचना नहीं दे रहा है। केवल रेपिड टेस्ट के जरिए मरीजों को डेंगू मरीज बता कर बिना विभाग को सूचना दिए इलाज किया जा रहा है, जिसकी विश्वसनीयता संदिग्ध है।

158 लोगों को नोटिस

जिला मलेरया अधिकारी (डीएमओ) डा. एके पांडेय ने बताया कि जिन लोगों की लापरवाही के कारण मच्छरों के लार्वा पनपते हैं उन्हें नोटिस दिए जाने का प्रावधान है। जनपद में ऐसे 158 लोगों को नोटिस दिया जा चुका है। इन लोगों से कहा गया है कि 24 घंटे के भीतर ऐसे स्रोतों का समापन करें जहां लार्वा पैदा होते हैं। ऐसा न करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत 500 रुपये से लेकर 20000 रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।

‘‘एक चम्मच साफ जलजमाव भी घर में ला सकता है डेंगू’’

सीएमओ डॉ श्रीकांत तिवारी ने कहा कि डेंगू का समय रहते इलाज हो जाए तो यह जानलेवा नहीं हो पाता है, लिहाजा इस बीमारी से निपटने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि अगर किसी को भी बुखार हो तो वह प्रशिक्षित चिकित्सक को ही दिखाए। अपने मन से दवा बिल्कुल न खाए।

उन्होंने लोगों से यह अपील की है कि अगर कोई निजी चिकित्सक इलाज के दौरान उनके परिजनों को डेंगू का मरीज बताता है तो वे अपने क्षेत्र की आशा और एएनएम की मदद से अथवा खुद स्वास्थ्य विभाग को अवश्य सूचित करें ताकि सही समय पर सही कदम उठाए जा सकें। डेंगू की रोकथाम में व्यापक जनसहयोग की अपील की है।

उन्होंने कहा कि एक चम्मच साफ पानी का जमाव भी डेंगू का लार्वा पनपने के लिए पर्याप्त है। ऐसे में इस बीमारी की रोकथाम में सामुदायिक सहयोग की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने जनपद के लोगों से अपील की है कि दीपावली के दौरान अपने घरों की साफ-सफाई में इस बात का ध्यान रखें कि घर के भीतर ठहरे हुए साफ पानी के प्रत्येक स्रोत की भी सफाई हो जाए।
सीएमओ ने बताया कि ऐसे स्रोतों में कूलर में जमा पानी, गमलों में जमा पानी, टायर में जमा पानी और कहीं भी जमा साफ पानी शामिल है।

डेंगू को समझिए

• प्लेटलेट का कम होना हमेशा डेंगू नहीं होता है।
• समय से अस्पताल आने पर डेंगू का सस्ता इलाज संभव है।
• समय से चिकित्सालय पहुंचने पर डेंगू जानलेवा रूप नहीं धारण करता।
• चिकनगुनिया और डेंगू के लक्षण एक तरह के होते हैं। चिकित्सकीय जांच के बाद ही पता चल सकता है कि मरीज को डेंगू या चिकनगुनिया।
• चिकनगुनिया के खतरनाक अवस्था में शरीर झुक जाता है और वह कभी ठीक नहीं होता।
• डेंगू और चिकगुनिया एक ही प्रजाति के मच्छर के काटने से होता है और दोनों बीमारियों के मच्छर दिन में काटते हैं।
• मच्छरों से बचाव कर हम चिकनगुनिया और डेंगू समेत सभी मच्छरजनित रोगों पर अंकुश पा सकते हैं।

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