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गोरखपुर में ऑनर किलिंग : धर्म परिवर्तन कर हिंदू बन गया था दिलशाद, आर्य समाज मंदिर में की थी शादी

गोरखपुर। सिविल कोर्ट परिसर के साइकिल स्टैंड के पास दिलशाद हुसैन नामक युवक की हत्या के केस में नए तथ्य सामने आए हैं। इन तथ्यों के अनुसार दिलशाद ने लड़की से आर्य समाज में विवाह किया था। शादी के पहले वह धर्म परिवर्तन कर हिंदू बन गया था और अपना नाम दिलराज रख लिया था। उसने अदालत में अपने मुकदमे के पक्ष में शादी का प्रमाण पत्र और धर्म परिवर्तन का साक्ष्य प्रस्तुत किया था।

शुक्रवार (21 जनवरी) को दोपहर 1.30 बजे 31 वर्षीय दिलशाद हुसैन की सिविल कोर्ट के साइकिल स्टैंड के पास गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। गोली मारने वाले को मौके पर स्टैंड पर कार्य कर रहे एक कर्मचारी ने पुलिस की मदद से पकड़ लिया था। पकड़ा गया व्यक्ति बड़हलगंज क्षेत्र का रहने वाला था। वह फौज से हाल में ही रिटायर हुआ था।

हत्यारोपी ने 17 फरवरी 2020 को दिलशाद हुसैन के खिलाफ अपनी बेटी के अपहरण व रेप का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। तहरीर पर लड़की की आयु 18 वर्ष से कम बतायी गयी थी जिस पर पुलिस ने दिलशाद हुसैन के विरूद्ध पाक्सो एक्ट भी लगाया था।

दिलशाद इस मामले में 20 फरवरी 2020 को गिरफ्तार हुआ था। इस केस में दिलशाद हुसैन की 17 सितम्बर 2020 को हाईकोर्ट से जमानत हो गई थी।

उसका मुकदमा विशेष न्यायाधीश पाक्सो एक्ट कोर्ट नम्बर चार में चल रहा था। घटना के दिन 21 फरवरी को इस केस में गवाही की तारीख थी। कोरोना संक्रमण के कारण वादकारियों का अदालत प्रवेश परिसर में वर्जित है। दिलशाद ने दोपहर 1.25 बजे अपने अधिवक्ता शंकर शरण शुक्ल के मोबाइल पर फोन कर उन्हें मिलने के लिए गेट पर बुलाया। अभी अधिवक्ता से उसकी मुलाकात हो पाती इसी बीच हमलावर ने उसकी कनपटी पर सटाकर गोली मार दिया जिससे उसकी मौके पर ही मृत्यु हो गई।

सिविल कोर्ट परिसर में हत्या की घटना पर अधिवक्ताओं ने नाराजगी जताते हुए प्रदर्शन किया था।

दिलशाद बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सकरा थाना के विधिपुर गांव का निवासी थी। वह बड़हलगंज क्षेत्र में हत्यारोपी के घर के पास साइकिल मरम्मत का काम करता था। इसी दौरान उसका हत्यारोपी के परिवार से परिचय हुआ।

हत्यारोपी ने बड़हलगंज थाने में 17 फरवरी 2020 को तहरीर देकर दिलशाद हुसैन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करायी। इस तहरीर में कहा गया था कि ‘ 11 फरवरी 2020 को उसकी बेटी जो बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा है, स्कूल गयी लेकिन घर नहीं लौटी। बाद में उनके मोबाइल पर फोन आया कि दिलशाद हुसैन ने उनकी बेटी का अपहरण कर लिया और उसके साथ गलत कृत्य कर अनैतिक कार्य करवा सकता है। ‘

दिलशाद हुसैन के अधिवक्ता शंकर शरण शुक्ल ने गोरखपुर न्यूज लाइन को बताया कि पाक्सो एक्ट कोर्ट में दोनों पक्षों ने साक्ष्य प्रस्तुत कर दिया था। अब गवाहों का बयान होना था। केस दर्ज कराने वाले और लड़की को बयान दर्ज कराने के लिए कई बार नोटिस हुई थी लेकिन वे बयान दर्ज कराने नहीं आए थे।

मीडिया में इस घटना के बारे में कई गलत तथ्य व सूचनाएं प्रकाशित हुई हैं। मीडिया में यह खबर आयी है कि दिलशाद हुसैन एक महीना पहले ही जेल से छूट कर आया था जबकि तथ्य यह है कि हाईकोर्ट इलाहाबाद से उसकी 17 सितम्बर 2020 को ही जमानत हो गई थी। जिस लड़की के अपहरण व रेप का केस दिलशाद हुसैन पर दर्ज हुआ था, उसे नाबालिग बताया गया है।

एफआईआर में लड़की की आयु 21 दिसंबर 2020 बतायी गयी है जबकि हाईकोर्ट में जमानत के समय दिलशाद हुसैन के अधिवक्ता ने कहा कि लड़की की की जन्म तिथि 5-12-98 है और वह घटना के समय बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही थी। ट्रायल कोर्ट में भी दिलशाद हुसैन ने आर्य समाज मंदिर में विवाह का जो सर्टिफिकेट साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया है, उसमें भी लड़की की आयु पांच दिसम्बर 1998 दिया गया है। शादी का यह प्रमाण पत्र तेलगांना के घाटकेसर मंडल, आर आर डिस्टिक्ट के चेंगीचेरल्ला विलेज के आर्य समाज की है। विवाह की तारीख 13 फरवरी 2020 को अपरान्ह तीन बजे की है। इसके एक घंटे पहले आर्य समाज मंदिर में दिलशाद हुसैन धर्म परिवर्तन कर हिंदू बन गया और अपना नाम दिलराज रख लिया। धरम परिवर्तन का यह प्रमाण पत्र भी अदालत में प्रस्तुत किया गया था।

इस घटना की सोशल मीडिया पर बहुत चर्चा है। सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने दिलशाद की हत्या करने वाली व्यक्ति की प्रशंसा की है और लिखा है कि उसने न्याय किया है। कुछ लोगों ने इसे हिंदू-मुस्लिम रंग भी देने की कोशिश की।

 

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