गोरखपुर, 4 जुलाई। ईद की नमाज कि तैयारी शुरू हो गई है। नमाजियों के इस्तकबाल के लिए शहर के सबसे बड़ी ईदगाह में तैयारियां आखिरी मरहले में है। ईद में चंद दिनें बचे है। ईदगाहों में तैयारी जोर-शोर से चल रही है। रंग रोगन साफ सफाई के लिए मजदूर लगे हुये है। यह ईदगाहें मुस्लिमों के दो सबसे बड़े त्यौहारों ईद और ईदुलअज्हा की खुशी मनाने के लिए है। यहीं पर दो रकात नमाज अदा कर बंदे खुदा का शुक्र अदा करते है और खुशियों मनाते है।
इस वक्त शहर में छह ईदगाहें है जिसमें ईदगाह मुबारक खां शहीद, ईदगाह सेहरा बाले का मैदान, ईदगाह इमामबाड़ा स्टेट, ईदगाह बेनीगंज, ईदगाह चिलमापुर, ईदगाह फतेहपुर मेडिकल कालेज, ईदगाह पुलिस लाइन शामिल है। इसके अलावा शहर के पाँच दर्जन से अधिक मस्जिदों में भी ईद के नमाज की तैयारी जोरों पर है। मौसम से बचने के लिए पुख्ता इंतेजाम किये जा रहे है।
मुफ्ती मौलाना अख्तर हुसैन अजहर मन्नानी ने बताया कि ईदगाह का अर्थ होता है खुशी की जगह या खुशी का वक्त। यह ऐसी जगह है जहां पर बंदा दो रकाअत नमाज पढ़कर खुदा का शुक्र अदा करते है। जब बंदा 29 दिन या 30 दिन का रोजा पूरा कर लेता है तो अल्लाह तआला उसे खुशी मनाने का हुक्म देता है। रोजा 2 हिजरी में फर्ज हुआ है। नबी ए पाक 53 साल की उम्र में मक्का से हिजरत करके मदीना आ गये तो 2 हिजरी को रोजा फर्ज हुआ। कुरआन शरीफ के दूसरे पारे में छठें रूकू में ईद की खुशी मनाने का हुक्म नाजिल हुआ। नबी ए पाक आबादी से दूर अपने सहाबा के साथ ईद की नमाज अदा की। ईदगाह में ईद की नमाज अदा करना नबी ए पाक की सुन्नत है। ईद की मुस्तहबात में यह चीजें है कि ईदगाह जल्दी जाना। ईदगाह पैदल जाना। ईदगाह में एक रास्ते से जाने दूसरे रास्ते से वापस आना। जाते वक्त तक्बीरे तशरीक पढना। ईद की नमाज के लिए जाने के लिए कुछ मीठा खा कर जाना मुस्तहब है।