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जलसा-ए-सीरतुन्नबी व दीनी नुमाइश का आगाज

इस्लाम का पैगाम व हिन्दुस्तान के बादशाहों के बारे में दी गई है जानकारी

 गोरखपुर, 21 नवम्बर। मियां साहब इस्लामियां इंटर कालेज बक्शीपुर में तीन दिवसीय जलसा-ए-सीरतुन्नबी व दीनी नुमाइश का आगाज रविवार को हुआ। जेएनयू नई दिल्ली के साबिक शिक्षक डा. मोहसिन उस्मानी ने दीनी नुमाइश का शुभारंभ करते हुए कहा कि दीनी नुमाइश अपनी तारीख जानने का एक अहम जरिया हैं। इस तरह के आयोजन समाज के लिए प्रेरणादायक हैं। पैगंबर मोहम्मद साहब पूरे संसार के लिए आदर्श हैं। उनकी शिक्षाओं को अगर हम अपने आचरण में समा लें तो यह दुनिया जन्नत सी हो जाएगी।

इस मौके पर स्कूल के छात्रों के बीच नातिया मुकाबला शुरू हुआ, जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

नुमाइश में इस्लाम की तारीख, मुकद्दस मकामात, जखीम हस्तलिखित कुरआन की प्रतियां, इस्लाम के फजाइल तमाम धार्मिक किताबों के जरिये बताये जा रहे है जो आकर्षण का केंद्र है। इसके अलावा तमाम बैनरों, पोस्टरों के जरिये इस्लामी तालीम, महिलाओं, पड़ोसियों के हुकूक बतायें गये। इसके अलावा इस्लामी जंगों के बारे में बताया गया है। नुमाइश में जखीम तस्वीरें, हिन्दूस्तान के मुस्लिम बादशाहों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है।

पांच फेज में ऑर्गनाइज इस नुमाइश के पहले फेज में पैगंबर मोहम्मद साहब की जिंदगी को दर्शाने की कोशिश की गई है। वहीं दूसरे फेज में इस्लाम से जुड़ी अहम जगहों को दिखाया गया है। वहीं आजादी में मुसलमानों ने किस तरह से कुर्बानी दी, इसको तीसरे फेज में बताने की कोशिश की गई। अगले चरण  में मुसलिम साइंटिस्ट जिन्होंने देश को काफी कुछ दिया, उनका जिक्र नजर आया। इसके अलावा इस्लाम में स्त्रियों के अधिकार के साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में बताए अनुच्छेदों को भी पेश किया गया है।

इस नुमाइश को लगाने में मुख्तार अहमद, एहसन जमाल, अब्दुल तुराब, मो. दानिश, इकबाल खान, सैयद मेराज, मोहम्मद रेहान, सोहर अली, अब्दुल मारूफ और मकसूद आलम का अहम रोल रहा। इस मौके पर कॉलेज के प्रबंधक राशिद कमाल सामानी, प्रिंसिपल जफर अहमद खान, मंजूर आलम, प्रमोद श्रीवास्तव के साथ टीचर्स और छात्र मौजूद रहे।⁠⁠⁠⁠

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