कुशीनगर , 8 दिसम्बर। छितौनी बगहा रेल पुल के नीचे कडाके ठण्ड के बीच नारायणी नदी दियारे में नारायणी साहित्यिक मंच खड्डा व हमनशीं पटना के तत्वावधान में आयोजित काव्य पाठ में यूपी और बिहार के कवियों ने अपनी रचनाएं पढ़ीं।
कार्यक्रम की शुभारंभ कवयित्री अलिसा सिद्दीकी ने मंजर भोपाली की रचना ‘ ये धरती सोने का कंगन, ये धरती चांदी का दर्पण ’ प्रस्तुत कर किया। इसके बाद अरसी बस्तवी ने सुनाया- जो आईने की तरह दिल साफ रखते है, उन्हीं से लोग बहुत एखलाक रखते हैं। ’ हाटा के कवि एडवोकेट अब्दुल हमीद आरजू ने कहा-‘ किताबों के घने जंगल में खोकर, खिलौनो से जुदा बचपन हुआ ’ तो सभी ने ताली बजाकर वाहवाही दी। खड्डा के शायर डा एनटी खान वारसी ने अपन रचना ‘ फूल से भर ली झोलियां, लोगों ने पत्थर मारकर ’ सुनायी।
हमनशीं के महासचिव डा0 शरील मोईन ने ‘ जब्त करते हुए हुनर और निखर जाता है, रात को झील का ठहरा हुआ पानी हूॅ कौन चुपके से मेरी तरह उतर जाता है ’ सुनाकर दाद पायी। बिहार के कवि कामरान अजीज , बगहा के लाल साहब यादव, अखिलेश्वर नाथ त्रिपाठी ने भी अपनी अपनी रचनाओं का पाठ किया। अध्यक्षता छितौनी इण्टर कालेज के अध्यक्ष विजय सिंह ने तथा संचालन सुनील गुप्ता ने किया अन्त में मशहूर शायर बेकल उत्साही के निधन पर दो मिनट मौन रख कर श्रद्वांजलि दी गयी।