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पडरौना चीनी मिल के चलने के आसार कम

वर्ष 2012 से बंद है पडरौना चीनी मिल
रमाशंकर चौधरी

कुशीनगर 17 नवम्बर। पडरौना चीनी मिल का इस सत्र में भी चलने का कोई आसार नजर नहीं आ रहा है। यदि चीनी मिल नहीं चली तो किसानों को दूसरी चीनी मिलों को गन्ना देना होगा। इससे गन्ना किसानों की दिक्कतें बढ़ जाएंगी। सबसे अधिक दिक्कत ढाई एकड से कम गन्ना बोने वाले छोटे किसानों को होगी।
गन्ने का पेराई सत्र अक्टूबर के आखिरी सप्ताह तक हो जाता है। पडरौना चीनी मिल के चालू करने के लिए मिल प्रबन्धन ने कल पुर्जाे की मरम्मत का कार्य शुरू करा दिया है लेकिन इस चीनी मिल क्षेत्र का गन्ना रामकोला चीनी मिल को आवंटित करने के कारण पडरौना चीनी मिल के चलने के आसार बहुत कम हैं।
जिला गन्ना अधिकारी वेद प्रकाश सिंह का कहना है कि रिपोर्ट शासन को भेज दी गयी है लेकिन अभी तक वहां से इस बारे में कोई निर्देश नहीं आया है।
पडरौना चीनी मिल पर किसानों और मजदूरों का 16 करोड 89 लाख रूपया बकाया है। यह चीनी मिल वर्ष 1997-98 में बन्द हुई थी। इसे वर्ष 2005 में फिर शुरू किया गया लेकिन 2011-12 में मिल दुबारा बंद हो गई।
जिले की सभी चीनी मिलों का पेराई सत्र शुरू करने की तारीख पक्की हो गई है लेकिन पडरौना चीनी पेराई करेगी कि नहीं, इसका जवाब कहीं से नही मिल रहा है। इस मिल का गन्ना दूसरे चीनी मिलों को आंवटित किया जा चुका है। दान्दोपुर निवासी किसान धर्मेन्द्र सिंह, मिराज अहमद बडहरागंज, कमलेश सिंह बसडीला, जोगेन्द्र सिंह मेलानगरी, सुदर्शन गुप्ता बडहरागंज का गन्ना रामकोला पंजाब को आंवटित हो चुका है।

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