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राजनीतिक दल बताएं कि भोजपुरी के बारे में उनकी नीति क्या है : प्रो सदानन्द शाही

गोरखपुर, 3 फरवरी।  जन भोजपुरी मंच के संयोजक प्रोफेसर सदानंद शाही ने  उप्र के चुनावों को ध्यान में रखते हुए भोजपुरी अंचल के सर्वांगीण उन्नति के सवाल पर विचार करने की अपील की है।
एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से प्रो शाही ने कहा  कि भोजपुरी क्षेत्र के विकास का सवाल भोजपुरी भाषा के विकास के साथ जुडा हुआ है। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से भोजपुरी के बारे में अपनी नीति स्पष्ट करने के लिए कहा। प्रो शाही ने कहा कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के सवाल पर राजनीतिक दलों की मंशा साफ नहीं है ।कुछ लोग यह भ्रम फैलाने की कोशिश करते हैं कि भोजपुरी के विकसित होने से हिन्दी की क्षति होगी। प्रो शाही ने कहा कि ऐसे लोग हिन्दी और भोजपुरी दोनो का नुकसान करते हैं। उन्हें न तो हिन्दी की ताकत का एहसास है न भोजपुरी की सामर्थ्य का। हिन्दी की असली ताकत समूचे देश की सवा सौ करोड आबादी की सम्पर्क और अन्तरदेशीय व्यवहार की भाषा होने में है। इस रूप में हिन्दी निरन्तर विकसित हो रही है। ऐसे लोग हिन्दी को महज उत्तर भारत की भाषा बताकर शेष भारतीयों के मन में हिन्दी के लिए पूर्वाग्रह पैदा करते हैं और अपनी गुलाम मानसिकता के नाते भोजपुरी को गंवार और पिछडा बताकर उसे नष्ट होने के लिए छोड देना चाहते हैं। यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी या वैश्विक हिन्दी का दावा प्रादेशिक भाषाओं के साथ उसकी साझेदारी और परस्परता में है,अधीन बनाकर उपनिवेशित करने में नहीं।
प्रो शाही ने जोरदेकर कहा कि राष्ट्रभाषा और विश्व भाषा के रूप में हिन्दी को विकसित करने का रास्ता प्रादेशिक भाषाओं से संवाद में है।
प्रो शाही ने कहा कि समय आ गया है कि भोजपुरी क्षेत्र और भोजपुरी भाषा के विकास के लिए यहाँ की ठोस परिस्थितियों के अनुरूप विकास का खाका तैयार किया जाए। आश्चर्य की बात है कि इस दिशा में अभी तक किसी ने ठोस पहल कदमी नहीं ली है। भोजपुरी क्षेत्र के पिछड़ेपन के मूल में भोजपुरी भाषा की उपेक्षा और उससे उपजा हीनता-बोध है। शिक्षा की दयनीय स्थिति  भी इसके लिए जिम्मेदार है । प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक का ढ़ांचा चरमराया हुआ है। भोजपुरी क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा को मजबूत एवं प्रभावी ढ़ंग से लागू करने की जरूरत है । भोजपुरी क्षेत्र में आधारभूत ढ़ाँचे चिकित्सा, शिक्षा, सड़क, यातायात का घोर अभाव है। क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं और प्राकृतिक आपदाओं को  ध्यान में रखकर कृषि नीति तैयार करने की जरूरत है। स्वरोजगार विकसित करने के लिए इस क्षेत्र के लघु और कुटीर उद्योगों का संरक्षण और संवर्धन बेहद जरूरी  है।  भोजपुरी क्षेत्र में पर्यटन की पर्याप्त संभावनाएं हैं। उसका  पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन और विकास किया जाना चाहिए।
 प्रोफेसर शाही ने कहा कि  भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति, लोककलाएँ,देशज ज्ञान और समाज के विकासात्मक अध्ययन के लिए स्वतंत्र विश्वविद्यालय तथा शोध केंद्रों की स्थापना की जानी चाहिए।ताकि इस क्षेत्र की ज़रूरतों के हिसाब से विकास का खाका तैयार किया जा सके। किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में भोजपुरी क्षेत्र नहीं है। इस क्षेत्र के पिछड़ेपन का फायदा उठाकर जाति , धर्म तथा विकास के अमूर्त मॉडल पर भोजपुरी क्षेत्र को गुमराह किया जाता रहा है। इसी को ध्यान में रखकर जन भोजपुरी मंच ने विधानसभा के सभी प्रत्याशियों और मतदाताओं से विचार करने के लिए दस सूत्रीय अपील जारी की है।
यह है जन भोजपुरी मंच की 10 सूत्री अपील 
1-     भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए,जिससे भोजपुरी भाषा व संस्कृति के संरक्षण ,संवर्धन और विकास का मार्ग प्रशस्त हो।
2-  प्रत्येक गाँव में प्राथमिक शिक्षा  प्रणाली को आधुनिक ढंग से विकसित किया जाय।  शिक्षाविदों की राय में मातृभाषाएँ समझ का बेहतर माध्यम हैं। इसलिए भोजपुरी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा के लिए माडल स्कूल स्थापित किए जायं ।
3-     भोजपुरी भाषा साहित्य, संस्कृति, लोककलाएँ, देशज ज्ञान और भोजपुरी समाज के विकासात्मक अध्ययन के लिए स्वतंत्र विश्वविद्यालय तथा शोध केंद्रों की स्थापना की जाए।
4-     भोजपुरी क्षेत्र के कृषि और कृषि आधारित उद्योगों को  विकसित करने का सतत प्रयास किया जाए। साथ ही बाढ़, सूखा, कटान एवं ऊसर आदि कृषि से संबंधित समस्याओं से निपटने हेतु स्थायी एवं समुचित उपाय किए जाएँ।
5-     भोजपुरी क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन  का  विकास और  प्रबंधनकिया जाए।
6-     भोजपुरी क्षेत्र में बुनकरी ,काष्ठ कला सहित तमाम लघु एवं कुटीर उद्योगों के संरक्षण एवं संवर्धन की नीतियाँ लागू की जाएँ।
7-     भोजपुरी क्षेत्र में आधारभूत ढाँचे(चिकित्सा ,शिक्षा ,सड़क ,यातायात आदि ) के समग्र विकास का खाका तैयार किया जाए।
8-     प्रवासी भोजपुरिया  समाज के साथ जीवन्त सांस्कृतिक  संबंध बनाने का प्रयास किया जाय।
9-     भोजपुरी क्षेत्र के परंपरागत खेलों को ध्यान में रखते हुए प्रभावी खेल नीति बनायी जाय तथा ब्लाक स्तर पर खेल संस्थान बनाए जाएँ।
10-    भोजपुरी क्षेत्र में स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएँ।

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