साहित्य - संस्कृति

अवार्ड हमें सच बोलने से रोकते हैं : मुनव्वर राना

मुनव्वर राना की ख्वाहिश : मैंने जो हिन्दुस्तान अपने जन्म के बाद देखा था वैसा ही हिन्दुस्तान दोबारा देख सकूं

गोरखपुर। मशहूर शायर मुनव्वर राना रविवार को शहर में थे। बोले तो बिंदास बोले। उन्होंने कहा कि बस मेरी एक ख्वाहिश है कि मैंने जो हिन्दुस्तान अपने जन्म के बाद देखा था वैसा ही हिन्दुस्तान दोबारा देख सकूं। नरेन्द्र मोदी हो या राहुल गांधी ये सब सिर्फ कहते हैं कि हमने ये बना दिया वो बना दिया। अरे नेताओं एक बार हिन्दुस्तान को बना दो। यहां कोई गुजराती है, कोई बंगाली, असमी और महाराष्ट्रीयन, ये सब जब हिन्दुस्तानी हो जायेंगे तो अब पुराना हिन्दुस्तान अपने आप बन जायेगा।

उन्होंने कहा कि शायरी और सियासत दो अलग-अलग चीजें हैं। शायरी सच से चलती है तो सियासत झूठ से चलती है। इसलिए शायरों, कवियों और पत्रकारों को सियासत में नहीं जाना चाहिए। अगर ये बिरादरी भी सियासत में शामिल हो जायेगी तो सच कौन बोलेगा। उन्होंने कहा कि जब लिखने वाला ही किसी पार्टी का तरफदार हो जाता है तो इंसाफ की बात करते वक्त उसकी कलम रुकने लगती है और यहीं से भ्रष्टाचार शुरू होता है।

श्री राना ने कहा कि आज के दौर में अवार्ड से साहित्यकारों की पहचान होती है लेकिन तुलसी, कबीर, गालिब के पास कौन से अवार्ड थे लेकिन आज भी और आने वाले वक्त तक भी ये जाने जायेंगे। सरकारी छोटे मोटे अवार्ड हमें सच बोलने से रोकते हैं। इसलिए अब न मैं कोई सरकारी अवार्ड लूंगा और अपने बेटे से भी कहूंगा कि वो सरकारी अवार्ड न ग्रहण करें।

मुनव्वर राना ने कहा कि आज भी लिखने का जज्बा उतना ही है लेकिन बीमारी ने कलम रोक दी है। जैसे एक फौजी पैर में गोली लगने के बाद रिटायर हो जाता हैं ऐसा ही कुछ हाल मेंरा भी है। लेकिन जज्बा अभी बाकी है, कई मुद्दें भी हैं जिन पर लिखना है।

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