पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता के तबादले पर आपस में भिड़े भाजपा विधायक और सांसद

तीन भाजपा विधाायकों ने सहायक अभियंता के समर्थन में चिट्ठी लिखी, नगर विधायक के साथ आए सांसद कमलेश पासवान, सोशल मीडिया पर जमकर हो रही है टीका-टिप्पणी

गोरखपुर। लोक निर्माण विभाग के एक सहायक अभियंता के तबादले को लेकर गोरखपुर में भाजपा विधायकों, सांसदों में घमासान मच गया है। सहायक अभियंता केके सिंह के तबादले पर भाजपा विधायक और सांसद बंटे हुए हैं वहीं विपक्षी नेता इसको लेकर तंज कस रहे हैं।

गोरखपुर नगर के विधायक डा. राधा मोहन दास अ्रग्रवाल ने इंजीनियरिंग कालेज रोड पर सड़क को ऊंचा करने से हुए जलजमाव का सवाल विधानसभा में उठाया था और उप मुख्यमंत्री व लोक निर्माण विभाग मंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मिले थे। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के सहायक अभियंता केके सिंह की शिकायत की थी। इसके बाद उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सहायक अभियंता केके सिंह का मुख्यालय से अटैच कर दिया।

इस तबादले के एक दिन बाद ही गोरखपुर के सांसद रवि किशन का एक पत्र मीडिया में आया। यह पत्र उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री केशव प्रसाद मौर्य को लिखा गया था। इसमें उन्होंने लिखा था कि यह सड़क फोर लेन बन रही है। सड़क पर घुटने भर तक पानी लगता था। उन्होंने सड़क उंचा करने को कहा जिस पर सड़क को उंचा करने का कार्य हुआ। यदि सहायक अभियंता हटे तो काम में देरी होगी। उनका काम बहुत अच्छा है।

 

सांसद और विधायक के एक सड़क और उसके निर्माण से जुड़े सहाायक अभियंता को लेकर अलग-अलग रूख की चर्चा हो ही रही थी कि 25 अगस्त को भाजपा के चार विधायकों-शीतल पांडेय (सहजनवा), विपिन सिंह (गोरखपुर ग्रामीण), महेन्द्र पाल सिंह (पिपराइच) और संगीता यादव ( चौरीचैरा ) का पत्र सोशल मीडिया और मीडिया में आया। सभी विधायकों ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को लिखे पत्र में सहायक अभियंता केके सिंह की तारीफ करते हुए उन्हें गोरखपुर में बनाए रखने का अनुरोध किया है। विधायको ने कहा है कि सहायक अभियंता उनके क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य करा रहे हैं। इसलिए उनके तबादले से काम में देरी होगी।

इन विधायकों में से एक शीतल पांडेय ने किसी तरह का पत्र लिखने से इंकार किया है। उनका कहना है कि उन्होंने यह पत्र नहीं लिखा लेकिन बाकी विधायकों ने पत्र लिखना स्वीकार किया है।

 

इन विधायकों के पत्र लिखने पर नगर विधायक डा. राधा मोहन दास अग्रवाल ने अपने फेसबुक वाल पर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने 25 अगस्त को लिखा कि – ‘ हम तो लड़ रहे थे अपनी विधानसभा के 4 महीने से पानी में डूबे हुए नागरिकों के लिए लेकिन सहायक अभियंता के समर्थन में आ गये पिपराईच, गोरखपुर ग्रामीण और सहजनवा क्षेत्र के मा विधायकगण ! अद्भुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय। यह कैसा लोकतंत्र बना लिया आपलोगों ने !

एक दूसरी टिप्पणी में उन्होंने लिखा-‘ ये रिश्ता क्या कहलाता है ? ऐसा कभी देखा और सुना नहीं होगा ! विधायक जी लोग रोते थे कि कोई अधिकारी सुनता नहीं। अद्भुत दृश्य है, बेचारे अदने से अधिकारी के पीछे लामबंद हैं। तो क्या हम भ्रष्टाचारियों की दलाली शुरू कर दें। अपुन से यह नहीं होने वाला है, अपुन तो आपके लिए लड़ेगा। ’

नगर विधायक को बांसगांव के भाजपा सांसद कमलेश पासवान का समर्थन मिला है। श्री पासवान ने आज अपने फेसबुक वाल पर टिप्पणी की-डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल जी (नगर विधायक गोरखपुर) भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में मै आपके साथ खड़ा हूँ, और हम सब जानते है कि हमारे क्षेत्रों में जो भी विकास कार्य हो रहे है उनकी क्या गुणवत्ता है ?

सोशल मीडिया में भाजपा विधायकों-सांसदों में चल रही तकरार में अब विपक्षी दल भी कूद पड़े हैं। कांग्रेस के प्रदेश महासचिव विश्वविजय सिंह ने आज टिप्पणी की – मुख्यमंत्री के गोरखपुर शहर में तीस से अधिक सालों से मेयर, विधायक, सांसद सभी बीजेपी के और शहर जल जमाव से हर साल डूबता है। मौजूदा मुख्यमंत्री भी यहीं से लगातार सांसद चुने जाते रहे हैं। अब इसी जल जमाव के नाम पर जिले के पांच भाजपा विधायक और सांसद एक इन्जीनियर को हटाओ-बचाओ का खेल खेल रहे हैं। हे भाजपा के कर्णधारों, जनता को मूर्ख बनाना छोड़िये। ये बताइये कि शहर की इस बदहाली का जिम्मेदार कौन है? क्या आप नहीं हैं? जो वोट लेते रहे और मौज छानते रहे। ’

 

हिन्दू युवा वाहिनी छोड़कर सपा में शामिल हुए सुनील सिंह ने इंजीनियरिंग कालेज रोड पर हुए जलजमाव का चित्र शेयर करते हुए लिखा है कि-‘ इंजीनियर केके सिंह के लिए हमदर्दी दिखाने वाले माननीय कभी इंजीनियरिंग कालेज एरिया के नागरिकों के बारे में एकजुटता दिखाए क्या ? हमदर्दी का कारण जानना चाहती है जनता। कुछ तो मामला जरूर है भ्रष्टाचार और बंदरबांट का। अब तो इस प्रकरण की उच्चस्तरीय निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। ’

 

गोरखपुर नगर विधानसभा से चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले विजय कुमार श्रीवास्तव ने इस प्रकरण पर टिप्पणी करते हुए जांच की मांग की है। उन्होंने लिखा है-‘ किसी अधिकारी का सीमा से अधिक जाकर विरोध और उसका समर्थन वो भी सत्ताधारी दल के विधायकों और सांसद द्वारा समझ से परे है। क्या कभी इन माननीयों ने जनसमस्याओं के निदान या कोरोना महामारी में निजी अस्पतालों में लूट और सरकारी अस्पतालों में लापरवाही के लिए समर्थन या विरोध में पत्र जारी किया है, नही किया है। इन सभी माननीयों का भी बहिष्कार होना चाहिये। ’