पर्यावरण

गंगा के साथ-साथ स्थानीय नदियों की अविरलता एवं संरक्षण के लिए व्यापक जनजागरूकता जरूरी : रामधीरज भाई

गोरखपुर. गंगा के अविरलता और निर्मलता को लेकर जलपुरुष राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में गोमुख से गंगासागर तक निकली “गंगा सद्भावना यात्रा” 13 नवम्बर को गोरखपुर पहुंची. यात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया।

यात्रा में शामिल रामधीरज भाई व अन्य ने सबसे पहले टाउनहाल स्थित गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इसके बाद वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला, तारामंडल के सभागार में 11 बजे से गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें शहर के पर्यावरणविदों, प्रबुद्धजनों एवं युवाओं ने शामिल होकर गंगा, पूर्वांचल की नदियों/ जलाशयों और पर्यावरण के विषय पर अपनी राय रखी।

यात्रा के संयोजक आज़ादी बचाओ आंदोलन के प्रणेता रामधीरज भाई ने गंगा सद्भावना यात्रा के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा की इस यात्रा का उद्देश्य गंगा की अविरलता एवं संरक्षण के लिए व्यापक जनजागरूकता के साथ क्षेत्रीय जलाशयों एवं नदियों के संरक्षण हेतु लोगो को संगठित करना है। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योकि इन जलाशयों में फैक्ट्रियों , नालों का गन्दा पानी अनवरत मिलाया जा रहा है तथा अबाध रूप से नदियों में किये जा रहे खनन एवं निर्माण कार्यों के कारण आर्सेनिक, फ्लोराइड जैसे हानिकारक तत्व भूमिगत होकर पेयजल के माध्यम से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन रहे हैं. सरकारें इस विषय में कोई भी सकारात्मक कदम उठाती नही दिख रही हैं।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने कहा कि जनचेतना के माध्यम से हमें स्थानीय नदियों के संरक्षण पर ज़ोर देने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त समय की मांग है की देशभर में एक ऐसा व्यापक जनांदोलन हो जो नीति-नियंताओ को इस दिशा में कदम उठाने पर मजबूर कर दे।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राधेमोहन मिश्र ने स्थानीय रामगढ़ ताल के संरक्षण में युवाओं की भागीदारी का आह्वाहन किया। गोष्ठी में सामाजिक कार्यकर्ता चतुरानन ओझा, रजनीश श्रीवास्तव ने भी विचार प्रकट किये.

 युवा कवयित्री आकृति विज्ञा ‘अर्पण’ ने संचालन किया. सुभद्रा मणि त्रिपाठी, हर्षित मिश्र ‘नमन’, नाथ गोरखपुरी, विष्णु दत्त पांडेय, स्नेहा ने नदी एवं पर्यवरण संरक्षण के विषय पर काव्यपाठ किया।

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