सादगी से मनाया गया ईद-उल-अज़हा पर्व, नमाज अदा कर दी कुर्बानी

गोरखपुर। त्याग व भाईचारे का पर्व ईद-उल-अज़हा शांति, सादगी व परंपरागत तरीके से मनाया गया। लॉकडाउन व कोरोना वॉयरस के कहर के बावजूद छोटों से लेकर बड़ों के चेहरों पर खुशियों नज़र आयी। ईदगाहों व मस्जिदों में केवल पांच-पांच लोगों ने ईद-उल-अज़हा की नमाज अदा की। बाकी लोगों ने घरों में नमाज अदा कर हिन्दुस्तान में शांति, तरक्की, भाईचारे व कोरोना वबा से निज़ात की दुआ मांगी। सोशल डिस्टेंसिंग व गाइडलाइन का पालन किया गया। सभी का चेहरा मास्क से ढ़का नज़र आया। चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रही। ईदगाहों व मस्जिदों के अंदर व बाहर सन्नाटा पसरा रहा। मुस्लिम बाहुल्य मोहल्लों में चहल पहल रही हालांकि दुकानें बंद नज़र आयीं। जिस वजह से जरूरत का कुछ सामान खरीदने में परेशानी हुई। मुस्लिम समुदाय ने साफ-सफाई का खास ख्याल रखा।

शनिवार को ईद-उल-अज़हा की नमाज अदा करने के लिए मुस्लिम समाज अलसुबह तैयार होने लगा। सभी ने गुस्ल किया। बच्चों को मां-बाप ने खूब सजाया संवारा। बेहतरीन लिबास पहनाया। बच्चों की खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं रहा। बच्चों के साथ बड़ों ने भीे नया व साफ सुथरा कपड़ा पहना, इत्र लगाया। सिरों पर टोपी सजाई। घर में चटाई बिछायी गयी। नमाज अदा कर दुआ मांगी गयी। लोगों की जुंबा पर तकबीर-ए-तशरीक की सदाएं भी खूब रहीं। माहौल उत्साहपूर्ण व दिलकश नज़र आया।

नार्मल स्थित हजरत मुबारक खां शहीद मस्जिद में कारी अफजल बरकाती ने कुर्बानी के फजायल बयान किए। कहा कि कुर्बानी हमें दर्स देती है कि दीन-ए-इस्लाम के लिए जब भी जरूरत पड़े तो माल व जान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। जामा मस्जिद सुब्हानिया तकिया कवलदह में मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि कुर्बानी अल्लाह को बहुत प्यारी है। कुर्बानी के गोश्त का तीन हिस्सा कर एक हिस्सा गरीबों को सदका कर दें। दूसरा हिस्सा दोस्त, रिश्तेदारों, पड़ोसियों को और तीसरा हिस्सा खुद इस्तेमाल करें। अल्लाह की खूब इबादत करें। भाईचारा कायम रखें। साफ-सफाई का खूब ख्याल रखें।

मस्जिद जामेनूर बहादुर शाह जफ़र कालोनी बहरामपुर में मौलाना मो. कलीमुल्लाह कादरी ने कहा कि मुसलमानों को नमाज से गाफिल नहीं रहना चाहिए। कुर्बानी में सभी का ख्याल रखिए। किसी का दिल नहीं टूटना चाहिए। जामा मस्जिद रसूलपुर में मौलाना मो. शादाब, बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में मौलाना अली अहमद, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में मौलाना मो. असलम रज़वी, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार में हाफिज रहमत अली निज़ामी आदि ने नमाज पढ़ायी व खुतबा पढ़ा। शहर की अधिकतर छोटी-बड़ी मस्जिदों में ईद-उल-अज़हा की नमाज चुनिंदा लोगों ने अदा कर दुआ मांगी।

गाइडलाइन के मुताबिक नमाज के बाद घरों के अंदर पैगंबर हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हजरत इस्माईल अलैहिस्सलाम के कुर्बानी की याद में बकरा, भैेस व पड़वा की कुर्बानी दी गई। शहर के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों खूनीपुर, खोखर टोला, रहमतनगर, शेखपुर, जाफ़रा बाजार, रेती, उर्दू बाजार, नखास, अस्करगंज, धम्माल, रसूलपुर, जाहिदाबाद, वजीराबाद, पुराना गोरखपुर, गोरखनाथ, बुलाकीपुर, बड़े काजीपुर, पिपरापुर, इलाहीबाग, तिवारीपुर, तुर्कमानपुर, बक्शीपुर सहित विभिन्न जगहों पर चहल पहल रही। कुर्बानी के जानवरों को नहला धुलाकर तैयार किया गया। जानवर जिब्ह करने वालों को बुलाया गया। बूचड़ोंं व कसाईयों ने सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क पहनकर कुर्बानी की। सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल किया। चूंकि जिसकी तरफ से कुर्बानी होती है वह कुर्बानी से पहले कुछ नहीं खाता। कुर्बानी होने के बाद लजीज व्यंजन का स्वाद चखा गया। इसके बाद कुर्बानी के गोश्त का तीन हिस्सा किया गया। एक हिस्सा खुद के लिए, एक दोस्त अहबाब व पड़ोसियों के लिए और एक गरीबों व यतीमों में बांटा गया। चमड़ा सदका कर दिया गया।

चमड़े का रेट बेहद कम होने की वजह से मदरसे वालों ने चमड़ा लेने से इंकार कर दिया। कभी यह चमड़ा मदरसों की आमदनी का जरिया हुआ करता था। बहुत से लोगों ने चमड़ा काट कर कुर्बानी के जानवरों के अवशेषों के साथ नगर निगम की ट्राली में भी रखवा दिया। अबकी बार मदरसों में सामूहिक कुर्बानी भी नहीं हुई। मुस्लिम घरों में गोश्त मांगने वाले दूर-दूर से पहुंचे।

औरतों ने पर्व को यादगार बनाने के लिए सभी तरह की तैयारियां की हुई थीं। अब समय था उसे अमली जामा पहनाने का। मीठी सेवईयों के साथ लजीज व्यंजन जैसे दही बड़ा, छोला, कवाब, भुनी कलेजी, बिरयानी, कोरमा, भुना गोश्त बनाकर तैयार किया। इन लजीज व्यंजनों का मजा लेने के लिए बाकरखानी व शीरमाल लॉकडाउन में खुली रोटी की दुकानों से मंगाया गया। कोरोना वबा ने इस बार मेहमान नवाजी पर ब्रेक लगा दिया। हालांकि ईद-उल-अज़हा का सारा दिन खुशियों के नाम रहा। लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए एक दूसरे को खूब मुबारकबाद पेश की। कुर्बानी रविवार व सोमवार को भी होगी। इस बार बच्चों को ईदी तो मिली लेकिन लॉकडाउन की वजह से वह अपना मनपसंद सामान खरीदने से महरूम रहे।