मातृ, शिशु, बाल मृत्‍युदर को भी कम कर रहा है परिवार नियोजन

   त्रैमासिक इंजेक्‍शन अन्‍तरा व छाया के रुप में महिलाओं को मिले अधिक विकल्‍प

देवरिया । राष्‍ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम के बारे में स्‍वास्‍थ्‍य मन्‍त्रालय के हवाले से एसीएमओ आरसीएच व परिवार कल्‍याण के नोडल अधिकारी  डॉ वीपी सिंह ने बताया कि परिवार नियोजन नीति और वास्तविक कार्यक्रम क्रियान्वयन के दृष्टिकोण से बड़े बदलाव के दौर में है और इसकी नई प्रस्तुति का मकसद न केवल जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों को प्राप्त करना हैबल्कि प्रजनन स्वास्थ्य को बढ़ावा देना और मातृशिशु और बाल मृत्यु दर और बीमारी भी कम करना है। इस कार्यक्रम के तहत मंत्रालय स्वास्थ्य व्यवस्था के विभिन्न स्तरों पर परिवार नियोजन की विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है और हाल ही में महिलाओं के लिए उपलब्ध विकल्पों का भी विस्तार किया गया है।

प्रसव के बाद आईयूसीडी (पीपीआईयूसीडी):  वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी 2020 तक)  कुल  19,44,495  पीपीआईयूसीडी लगाने की रिपोर्ट दर्ज की गई। पीपीआईयूसीडी स्वीकृति दर 16.5 प्रतिशत रही है। गर्भनिरोधक सुई एमपीए (अंतरा प्रोग्राम): वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) पूरे देश में कुल 15,58,503 डोज़ दिए गए हैं। गैर-हार्मोनल गोली सेंटक्रोमैन (छाया) – वित्त वर्ष 2019-20 (जनवरी, 2020 तक) में सेंट्रोक्रोमन की कुल 14,05,607 स्ट्रिप्स देने की रिपोर्ट दर्ज की गई हैं। मिशन परिवार विकास (एमपीवी) – और उससे अधिक कुल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) वाले 7 अधिक ध्यान देने वाले राज्यों के उच्च फर्टिलीटी रेट वाले 146 जिलों में गर्भ निरोधक और परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए नवंबर 2016 में एमपीवी शुरू किया गया था। ये जिले उत्तर प्रदेश (57),  बिहार (37),  राजस्थान (14),  मध्य प्रदेश (25),  छत्तीसगढ़ (2),  झारखंड (9) और असम (2) के हैं,  जो देश का  44 प्रतिशत हिस्सा है। वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल से दिसंबर 2019 की अवधि) में एमपीवी के अंतर्गत प्रदर्शन इस प्रकार रहा।

पीपीआईयूसीडी लगाने की संख्या- 4.66 लाख

सास-बहू समेलनों की संख्या 0.3 लाख

आशा द्वारा वितरित नई पहल किट की संख्या – 62.5 लाख