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जन भोजपुरी मंच ने भोजपुरी क्षेत्र और भोजपुरी के विकास का दस सूत्री एजेंडा जारी किया 

वाराणसी/गोरखपुर। जन भोजपुरी मंच के संयोजक प्रो सदानंद शाही ने 18वीं लोकसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं के विचार के लिए भोजपुरी क्षेत्र और भोजपुरी के विकास का दस सूत्री एजेंडा जारी किया है। उन्होंने दस सूत्री एजेंडे में भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने, भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति, लोककलाएँ, देशज ज्ञान और समाज के विकासात्मक अध्ययन के लिए स्वतंत्र विश्वविद्यालय तथा शोध केंद्रों की स्थापना करने तथा भोजपुरी क्षेत्र में भौगोलिक विशेषताओं और प्राकृतिक आपदाओं को  ध्यान में रखकर कृषि नीति बनाने, स्वरोजगार व पर्यटन की अपार संभावनाओं को विकसित करने की बात कही है।
लोकसभा चुनाव में विचार के लिए एजेंडा जारी करते हुए प्रो शाही ने कहा कि भोजपुरी क्षेत्र और भोजपुरी के विकास के लिए यहाँ की ठोस परिस्थितियों के अनुरूप विकास का खाका तैयार किया जाना चाहिए। आश्चर्य की बात है कि इस दिशा में अभी तक किसी ने ठोस पहलकदमी नहीं ली है।
उन्होंने कहा कि भोजपुरी क्षेत्र के पिछड़ेपन के मूल में भोजपुरी भाषा की उपेक्षा और उससे उपजा हीनता-बोध है। शिक्षा की दयनीय स्थिति  भी इसके लिए जिम्मेदार है । प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक का ढ़ांचा चरमराया हुआ है। भोजपुरी क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा को मजबूत एवं प्रभावी ढ़ंग से लागू करने की जरूरत है। भोजपुरी क्षेत्र में आधारभूत ढ़ाँचे चिकित्सा, शिक्षा, सड़क, यातायात का घोर अभाव है। क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं और प्राकृतिक आपदाओं को  ध्यान में रखकर कृषि नीति तैयार करने की जरूरत है। स्वरोजगार विकसित करने के लिए इस क्षेत्र के लघु और कुटीर उद्योगों का संरक्षण और संवर्धन बेहद जरूरी  है।  भोजपुरी क्षेत्र में पर्यटन की पर्याप्त संभावनाएं है। उसका  पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन और विकास किया जाना चाहिए।
प्रो. शाही ने कहा की  भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति, लोककलाएँ, देशज ज्ञान और समाज के विकासात्मक अध्ययन के लिए स्वतंत्र विश्वविद्यालय तथा शोध केंद्रों की स्थापना की जानी चाहिए ताकि इस क्षेत्र की जरूरतों के हिसाब से विकास का खाका तैयार किया जा सके। उन्होंने अफसोस प्रकट करते हुए कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के एजेंडे में भोजपुरी क्षेत्र नहीं है। इस क्षेत्र के पिछड़ेपन का फायदा उठाकर जाति , धर्म तथा विकास के अमूर्त मॉडल पर भोजपुरी क्षेत्र को गुमराह किया जाता रहा है।
इसी को ध्यान में रखकर जन भोजपुरी मंच ने  लोकसभा के सभी प्रत्याशियों और मतदाताओं से विचार करने के लिए दस सूत्रीय एजेंडा जारी किया है।
एजेंडा
1-  भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाय।
2-   शिक्षाविदों की राय में मातृभाषा समझ का बेहतर माध्यम हैं। इसलिए भोजपुरी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में प्राथमिक शिक्षा के लिए कुछ मॉडल स्कूल स्थापित किए जाएं तथा हर गाँव के स्तर पर प्राथमिक शिक्षा प्रणाली को आधुनिक ढंग से विकसित किया जाय।
3-  भोजपुरी भाषा साहित्य, संस्कृति, लोककलाएँ, देशज ज्ञान और समाज के विकासात्मक अध्ययन के लिए स्वतंत्र विश्वविद्यालय तथा शोध केंद्रों की स्थापना की जाय।
4-  भोजपुरी क्षेत्र में कृषि और कृषि आधारित उद्योग विकसित करने का सतत प्रयास किया जाय। साथ ही बाढ़, सूखा, कटान एवं ऊसर आदि कृषि से संबंधित समस्याओं से निपटने हेतु स्थायी एवं समुचित उपाय किए जाएं।
5-  भोजपुरी क्षेत्र में पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन का  विकास और प्रबंधन किया जाए ।
6- भोजपुरी क्षेत्र में बुनकरी सहित तमाम लघु एवं कुटीर उद्योगों के संरक्षण एवं संवर्धन की नीतियाँ लागू की जाएं।
7-  भोजपुरी क्षेत्र में आधारभूत ढाँचे ( चिकित्सा , शिक्षा ,सड़क ,यातायात आदि ) के समग्र विकास का खाका तैयार किया जाय।
8-  प्रवासी भोजपुरी समाज के साथ विशेष सांस्कृतिक एवं राजनीतिक संबंध बनाने का प्रयास किया जाय।
9-  भोजपुरी क्षेत्र के परंपरागत खेलों को ध्यान में रखते हुए एक प्रभावी खेल नीति बनायी जाय तथा ब्लाक स्तर पर खेल संस्थान बनाए जाएं।
10-  भोजपुरी क्षेत्र में स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र खोले जाएं। .

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