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गुआक्टा के अध्यक्ष, महामंत्री और पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की नोटिस

बिना समय लिए जबरन कुलपति से मिलने व अमर्यादित आचरण करने का लगाया गया आरोप, गुआक्टा पदाधिकारियों ने आरोप को मनगढ़ंत बताया

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह से दो जून की दोपहर मिलने गए गोरखपुर विश्वविद्यालय सम्बद्ध महाविद्यालयी शिक्षक संघ (गुआक्टा) के अध्यक्ष, महामंत्री और पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ विश्वद्यिालय ने अनुशासिनक कार्यवाही शुरू कर दी है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने इन तीनों शिक्षक नेताओं पर बिना समय लिए और पूर्व अनुमति के जबर्दस्ती कुलपति कक्ष में घुसने का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी की है। इन शिक्षक नेताओं के महाविद्यालयों के प्राचार्य से भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा गया है।

गुआक्टा पदाधिकारियों ने इस कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे डराने, धमकाने की कार्रवाई बताया है। गुआक्टा पदाधिकारियों ने कहा कि वे कुलपति से मिलकर महाविद्यालय के शिक्षकों की समस्यओं को रखने गए थे। सिर्फ इसलिए कार्यवाही किया जाना तानाशाही है।

गुआक्टा के महामंत्री धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि फरवरी में गुआक्टा की नयी कार्यकारिणी चुनी गई। नई कार्यकारिणी ने कुलपति प्रो राजेश सिंह से मिलने का समय मांगा लेकिन काफी बाद उन्हें समय मिला। कार्यकारिणी ने अप्रैल महीने में कुलपति को ज्ञापन देकर स्नातक स्तर के शिक्षकों को शोध निर्देशन का अधिकार देने, नए शिक्षकों को शोध करने में अवकाश सम्बन्धी बाधा को दूर करने, पुरानी पेशन की व्यवस्था को लागू करने, विश्वविद्यालय की समितियों में महाविद्यालयी शिक्षकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने, क्रीड़ा परिषद में महाविद्यालय शिक्षकों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने, कुलपति को शिक्षकों से मिलने का समय व दिन निर्धारित करने की मांग की थी।

 

श्री सिंह ने बताया कि इन मांगों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। गुआक्टा के पदाधिकारी इस बारे में बातचीत के लिए कुलपति से मिलने का समय मांग रहे थे लेकिन समय नहीं दिया जा रहा था। दो जुलाई को मैं, अध्यक्ष डा. के डी तिवारी और पूर्व अध्यक्ष डा. एसएन शर्मा कुलपति से मिलने गए। उस समय कुलपति कई शिक्षकों से मिल रहे थे। करीब 15 मिनट उनको इंतजार करने को कहा गया। इसके बाद वे कुलपति कक्ष के अंदर पहुंचे लेकिन कुलपति ने उनकी बात सुनने के बजाय डांटना शुरू कर दिया कि वे बिना पूर्व अनुमति के कैसे आ गए ? हम लोगों ने अपनी बात रखने की कोशिश की लेकिन उन्होंने नहीं सुनी। उन्होंने कहा कि वे लोग बाहर जाकर प्रो अजय सिंह से अपनी बात कहें। हम बाहर आ गए और चले आए।

श्री सिंह ने कहा कि आज उन्हें विश्वविद्यालय के कुलसचिव की ओर से नोटिस मिली है जिसे अनुशासनिक कार्यवाही किए जाने की बात कही गई है। हम इस तरह की धमकियों से नहीं डरने वाले हैं। कुलपति कार्यालय के आस-पास बड़ी संख्या में सुरक्षा कर्मी व अधिकारी-कर्मचारी रहते हैं। ऐसे में तीन शिक्षकों द्वारा उनके कक्ष में जबरन घुसने व दुर्व्यवहार करने का आरोप हास्यास्पद है। यह आरोप पूरी तरह मनगढंत है।

गुआक्टा द्वारा सात अप्रैल को कुलपति को दिया गया ज्ञापन

गुआक्टा महासचिव को विश्वविद्यालय के कुलसचिव द्वारा भेजी गई नोटिस में कहा गया है कि वे, डा. केडी तिवारी और डा एस एन शर्मा विना पूर्व अनुमति व बिना समय लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों के रोकने के बावजूद कुलपति कक्ष के दरवाजे को धक्का मारकर अंदर घुस गए और कुलपति के साथ अमर्यादित आचरण किया। कुलपति उस समय प्राचीन इतिहास विभाग की आनलाइन कार्यशाला में व्यस्त थे जिसमें बाधा पहुंचायी गयी।

गुआक्टा अध्यक्ष डा. के डी तिवारी बीआरडीपीजी कालेज देवरिया, महामंत्री  डा . धीरेन्द्र सिंह दिग्विजिय नाथ पीजी कालेज गोरखपुर और पूर्व अध्यक्ष डा एस एन शर्मा नेशनल पीजी कालेज बड़हलगंल में शिक्षक हैं। विश्वविद्यालय के कुलसचिव ने इन तीनों महाविद्यालयों के प्राचार्य को तीनों शिक्षाकों के खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही कर तीन दिन के अंदर विश्वविद्यालय को सूचित करने को कहा है। कुलसचिव ने यह भी कहा है कि विश्वविद्यालय तीनों शिक्षकों के खिलाफ खुद भी अनुशासनात्मक कार्यवाही करेगा।

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