साहित्य - संस्कृति

‘ गोरखपुर में प्रेमचन्द: शताब्दी स्मरण ’ कार्यक्रमों की श्रृंखला 19 से

गोरखपुर के एक दर्जन से अधिक विद्यालयों में होगा प्रेमचन्द की कहानियों का पाठ

प्रेमचन्द पार्क में साहित्यकार प्रेमचन्द की कहानियों और वैचारिक लेखों पर करेंगे संवाद
प्रेमचन्द की कहानी पर बनी फिल्म ‘ सदग्ति ’ भी दिखाई जाएगी

गोरखपुर, 17 अगस्त। महान कथाकार प्रेमचन्द के गोरखपुर में आने के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रेमचन्द साहित्य संस्थान 19 अगस्त से एक वर्ष का कार्यक्रम ‘ गोरखपुर में प्रेमचन्द: शताब्दी स्मरण ’ शुरू कर रहा है। 19 अगस्त को गोरखपुर के एक दर्जन से अधिक विद्यालयों में बच्चों के बीच प्रेमचन्द की कहानियों के पाठ से कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू हो रही है। इसी दिन प्रेमचन्द पार्क में प्रेमचन्द की कहानियों और उनके वैचारिक लेखों पर बातचीत और उनकी कहानी पर प्रसिद्ध फिल्मकार सत्यजीत राय द्वारा बनायी गयी फिल्म ‘ सद्गति ’ का प्रदर्शन का कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
यह जानकारी प्रेमचन्द साहित्य संस्थान के सचिव मनोज कुमार सिंह, ‘ गोरखपुर में प्रेमचन्द: शताब्दी स्मरण ’ कार्यक्रम के संयोजक अशोक चौधरी, सह संयोजक सुजीत श्रीवास्तव, बैजनाथ मिश्र, पवन कुमार सिंह ने संयुक्त विज्ञप्ति में दी। उन्होंने बताया कि महान कथाकार प्रेमचंद का गोरखपुर से गहरा रिश्ता रहा है। उन्होंने अपने जीवन के नौ वर्ष गोरखपुर में गुजारे। वह यहां पहली बार 1892 में गोरखपुर तब आए जब उनके पिता अजायब लाल यहां डाक विभाग में तैनात हुए। प्रेमचन्द ने यहां के रावत पाठशाला और मिशन स्कूल से आठवीं तक की शिक्षा ग्रहण की। इसी दौरान उन्हें साहित्य का चस्का लगा और वे लेखन की ओर प्रवृत्त हुए। दूसरी बार वे नौकरी के सिलसिले में गोरखपुर आए और 19 अगस्त 1916 से 16 फरवरी 1921 तक यही रहे। वह दीक्षा विद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य कर रहे थे। उन्होंने यहां रहते हुए महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों का सृजन किया। यह दौर राष्ट्रीय आन्दोलन की दृष्टि से ही नहीं वरन प्रेमचन्द के जीवन का भी महत्वपूर्ण समय था। इसी समय प्रेमचन्द उर्दू से हिन्दी की ओर आए।

Premchand Niketan
प्रेमचन्द इसी घर में 19 अगस्त 1916 से 16 फरवरी 1921 तक रहे

देश की आजादी की लड़ाई के दौरान 8 फरवरी 1921 को महात्मा गांधी का गोरखपुर के गाजी मियां के मैदान में भाषण हुआ था। गांधी जी का भाषण सुनने प्रेमचन्द पत्नी व बेटों के साथ गए थे। गांधी जी के भाषण से प्रभावित होकर उन्होंने 15 फरवरी 1921 को सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। तीन दिन बाद वह यहां से वाराणसी चले गए।
प्रेमचंद का आवास बेतियाहाता मोहल्ले में प्रेमचंद पार्क में स्थित प्रेमचंद निकेतन था। यह भवन प्रेमचन्द के जीवन से जुड़ी कई यादों का धरोहर है।
इस वर्ष 19 अगस्त 2016 को प्रेमचंद के गोरखपुर आगमन के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर प्रेमचंद साहित्य संस्थान ने गोरखपुर फिल्म सोसाइटी और अलख कला समूह के साथ पूरे वर्ष कार्यक्रमों के आयोजन का निश्चय किया है जिसकी शुरूआत 19 अगस्त को हो रही है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य प्रेमचंद की कहानियों और उनके वैचारिक लेखों को लोगों के बीच खास कर युवा पीढ़ी में ले जाना है। इसी को ध्यान में रखते हुए 19 अगस्त को सुबह 10 बजे से चार बजे तक कई विद्यालयों में प्रेमचंद की कहानियों का पाठ आयोजित किया गया है। अभी तक एक दर्जन विद्यालयों ने इस कार्यक्रम को करने की सहमति दी है।

कार्यक्रम

सुबह 10 बजे से 4 बजे तक गोरखपुर के विभिन्न विद्यालयों में प्रेमचन्द की कहानियों का पाठ (संयोजन अशोक चैधरी, सुजीत श्रीवास्तव सोनू, पवन कुमार सिंह )

4 बजे, प्रेमचन्द पार्क : प्रेमचन्द के दो वैचारिक लेख का पाठ

’ साम्प्रदायिकता और संस्कृति ’ (सुजीत श्रीवास्तव सोनू )

‘ नारी जाति के अधिकार ’ – ( अशोक चैधरी )

4.30 बजे: गोरखपुर और प्रेमचन्द -प्रमोद कुमार ( वरिष्ठ कवि )

4.50 बजे: प्रेमचन्द के वैचारिक गद्य ( 1916-11921) पर एक दृष्टि -प्रो अनिल राय ( दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय )
5.10 बजे- ‘ दो बैलों की कथा ’ एक पाठ -प्रो सदानंद शाही ( बीएचयू, वाराणसी )

6.00 बजे -फिल्म ‘ सद्गति ’ का प्रदर्शन ( गोरखपुर फिल्म सोसाइटी द्वारा )

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