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वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन शाही राज्य सूचना आयुक्त बने

गोरखपुर. वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन शाही राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्त बनाये गए हैं. उनके सहित 10 सूचना आयुक्त का चयन मुख्यमंत्री, नेता विपक्षी दल और वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री की समिति ने किया.

जिन 10 सूचना आयुक्तों का चयन हुआ है उसमें चार पत्रकार-हर्षवर्धन शाही, अजय उप्रेती, सुभाष सिंह, नरेंद्र श्रीवास्तव  दो महिला अधिवक्ता-रचना पाल और किरण बाला चौधरी, दो पूर्व आईपीएस -सुबेश  कुमार सिंह, पी के तिवारी व दो पूर्व आईएएस अधिकारी -राजीव कपूर, चंद्रकांत  पाण्डेय  हैं. सूचना आयुक्तों को 26 फरवरी को राज्यपाल द्वारा शपथ दिलाई जाएगी.

राज्य सूचना आयोग में 10 सूचना आयुक्त के पद हैं. ये सभी पद रिक्त चल रहे थे. मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी डेढ़ महीने से अधिक समय तक अकेले काम देख रहे थे. आयोग के 8 सूचना आयुक्तों का कार्यकाल सात जनवरी 2019 को समाप्त हो गया था। दो सूचना आयुक्तों के पद बहुत पहले ही खाली हो गए थे. सूचना आयुक्त ज्ञान प्रकाश मौर्य का कार्यकाल 30 जून 2014 को और श्रीमती खदीजतुल कुबरा 2 जुलाई 2016 को पूरा हो गया था लेकिन दोनों पदों पर चयन नहीं हुआ और ये पद खाली रहे.

सुचना आयुक्तों के पद रिक्त होने पर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी जिस पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार से इस पर जवाब माँगा था.

सूचना आयुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है. उन्हें चीफ सेक्रेटरी के बराबर वेतनमान व अन्य सुविधाएँ मिलती हैं.

श्री हर्षवर्धन शाही वरिष्ठ पत्रकार हैं. इस समय वह ‘ हिन्दुस्तान ‘ के गोरखपुर यूनिट में सहायक संपादक के पद पर कार्य कर रहे थे. उन्होंने चार दशक से अधिक समय तक दैनिक जागरण, आज, स्वतंत्र चेतना, राष्ट्रीय सहारा और हिंदुस्तान में विभिन्न स्थानों पर कार्य किया है. उन्होंने कुछ समय तक बरेली में भी पत्रकारिता की है.

केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोगों का गठन 12 अक्टूबर, 2005 को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून -2005 के तहत किया गया है . इस कानून के मुताबिक आयोग को आरटीआई से जुड़ी शिकायतों की जांच करने के साथ दोषी पक्ष पर जुर्माना लगाने का भी अधिकार दिया गया है. किसी मामले पर आयोग का फैसला आखिरी और बाध्यकारी होता है. यानी इसे आगे चुनौती नहीं दी जा सकती है.

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