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कुशीनगर और फाजिलनगर में पुरातात्विक धरोहर के 100 मीटर के दायरे में बने अवैध निर्माण ध्वस्त होंगे

विनियमित क्षेत्र के 100 निर्माण पर भी हो सकती है कार्रवाई

कुशीनगर। कुशीनगर के बौद्ध मॉनेस्ट्री के अवैध निर्माण कार्यों को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। कार्रवाई की जद में म्यांमार बौद्ध बिहार, तिब्बती बौद्ध, चाइना टेम्पल, कम्बोडिया बौद्ध बिहार के निर्माण शामिल हैं। उप्र अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष का भी एक निर्माण कार्य करवाई की जद में आया है।

ऐसे कुल 16 निर्माण हैं,जो पुरातात्विक धरोहर के प्रतिनिषिद्ध क्षेत्र यानी 100 मीटर के दायरे में हैं। फाजिलनगर क्षेत्र में स्थित धरोहरों से सटे भू स्वामियों के 8 निर्माण भी कार्रवाई की जद में आ रहे हैं। जबकि विनियमित क्षेत्र यानी 200 मीटर में 100 के करीब ऐसे निर्माण हैं। जिन्हें बनाने के पूर्व अनुमति नही ली गई। इन पर भी कार्रवाई हो सकती है.

 हाईकोर्ट के आदेश पर  पुरातात्विक स्मारकों को क्षति पहुंचाने वाले इन सभी निर्माण पर कार्रवाई को लेकर प्रशासन व पुरातत्व संरक्षण विभाग सक्रिय हुआ है.

 सन्तोष कुमार गुप्ता की याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. याचिका में भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग के अधीन संरक्षित बौद्ध व जैन तीर्थ स्थली कुशीनगर व फाजिलनगर के धरोहरों के इर्द गिर्द अवैध निर्माण को लेकर सवाल उठाए गए थे. इस मामले में जिलाधिकारी कुशीनगर समेत पुरातत्व महानिदेशक दिल्ली, अधीक्षण पुरातत्वविद सारनाथ व संरक्षण सहायक को इसके लिए जिम्मेदार बताया गया. हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान अफसरों से जवाब तलब किया था। अब प्रशासन व पुरातत्व संरक्षण विभाग संयुक्त रूप से कार्रवाई को लेकर सक्रिय हुए हैं।

कुशीनगर व फाजिलनगर में कुल आठ-आठ निर्माण चिन्हित किये जो प्रतिनिषिद्ध क्षेत्र में हैं।  महापरिनिर्वाण मन्दिर के सटकर बना अशोक बरुआ का पक्का मकान व रामाभार स्तूप परिसर से सटकर बना अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष राजकिशोर यादव की स्वर्गीय पत्नी का स्मारक स्थल, उस्मानपुर धरोहर क्षेत्र, छठियांव धरोहर क्षेत्र के निर्माण ध्वस्त किये जाने वाले निर्माण में शामिल हैं।सभी को नोटिस देने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

इस सम्बंध में संरक्षण सहायक अविनाश चन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि जिला प्रशासन के साथ बैठक हुई है. कार्रवाई की रूपरेखा भी तय कर ली गई है, उन्होंने बताया कि पुरातत्व संरक्षण विभाग के पास सीमित अधिकार है. पुलिस व प्रशासन के सहयोग से ही कार्रवाई सम्भव होती है. हम पहले भी सभी निर्माण के बाबत समय समय पर पुलिस व प्रशासन को सूचना देते रहे हैं.

लोहे का ग्रिल हटा पर पिलर बरकरार

प्रशासन के कड़े रुख के चलते महापरिनिर्वाण मन्दिर के उत्तरी गेट से बिल्कुल सटकर बने म्यांमार बौद्ध बिहार के समानांतर गेट से लोहे का ग्रिल हट गया है पर पिलर बरकरार है. प्रतिनिषिद्ध क्षेत्र में हुए इस निर्माण को लेकर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट अभिषेक पांडेय ने सख्त रुख दिखाया जिसके बाद बौद्ध बिहार के प्रबंधक ने लोहे का ग्रिल हटा लिया और पिलर भी हटा लेने की बात कही. पिलर अब भी बरकरार है. संरक्षण सहायक अविनाश चन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि बौद्ध बिहार पिलर खुद हटा लेता है तो ठीक है, अन्यथा उसे भी ध्वस्त कराया जाएगा.

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