समाचार

भौवापार की तीन हजार की आबादी को कालाजार से बचाने की पहल, 22 सितंबर से अभियान

गोरखपुर।  जिले के पिपरौली ब्लॉक स्थित भौवापार गांव की 3000 की आबादी को कालाजार बीमारी से सुरक्षित किया जाएगा। इस कार्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और स्वयंसेवी संगठन पाथ भी तकनीकी सहयोग देंगे।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि एक सप्ताह तक गांव में अभियान के तौर पर कालाजार की जनक बलुई मक्खी निरोधक दवा का छिड़काव किया जाएगा। यह अभियान 22 सितंबर से शुरू हो रहा है। वर्ष 2019 में इस गांव से कालाजार का प्रवासी मरीज सामने आया था, इसलिए एहतियातन यहां लगातार तीन वर्षों तक दवा का छिड़काव होगा।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अभियान से संबंधित लोगों को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. एके पांडेय, प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. निरंकेश्वर राय, डब्ल्यूएचओ कोआर्डिनेटर डॉ. सागर और पाथ के प्रोग्राम मैनेजर डॉ. ज्ञान ने संबंधित लोगों को प्रशिक्षित किया है। सभी प्रशिक्षुओं को बताया गया है कि शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मॉस्क एवं ग्लब्स लगा कर छिड़काव कार्य सम्पन्न करेंगे। बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती हैं। ऐसे में सभी प्रशिक्षुओं को बताया गया है कि दवा का छिड़काव घर के अंदर तथा बाहर छह फीट तक कराना है। छिड़काव के बाद तीन माह तक छिड़काव स्थल पर पुताई नहीं होनी चाहिए।

कालाजार के लक्षण

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह तीन से छह फीट ऊंचाई तक ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर काला चकत्ता पड़ जाता है।

वर्ष 2016 में भी निकला था मामला

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि कालाजार का एक मामला वर्ष 2016 में सरदारनगर क्षेत्र में निकला था। वह मरीज भी जिले में बिहार के सिवान जिले से आया था। प्रोटोकॉल के मुताबिक संबंधित आबादी को वर्ष 2017, 2018 और 2019 में दवा का छिड़काव करवा कर प्रतिरक्षित किया गया। कालाजार का प्रकोप मुख्यतया कुशीनगर और देवरिया जनपद में पाया जाता है जो बिहार से सटे जिले हैं, लेकिन कुछ प्रवासी मामले जिले में भी आ जाते हैं। लिहाजा संबंधित इलाकों में एहतियातन छिड़काव करवाया जाता है। भौवापार का मरीज कुशीनगर जिले से आया प्रवासी मरीज था।