साहित्य - संस्कृति

मध्य वर्ग के सशक्त साहित्यकार हैं कमलेश्वर : प्रो. रामदेव शुक्ल

गोरखपुर। ‘ कमलेश्वर नई कहानी आंदोलन के सशक्त रचनाकार थे। मोहन राकेश और राजेन्द्र यादव के साथ उनकी गणना कहानी को उन क्षेत्रों तक पहुंचाने वाले महत्वपूर्ण साहित्यकारों में की जाती है जो उनकी पहले संभव नहीं थी। उनके कथानक निम्न मध्यम वर्ग के पात्रों के बीच से लिए गए हैं। शहरी स्त्री पुरुष के आपसी सम्बन्धों व कामगार जीवन की उपस्थिति उनकी साहित्य में प्रभावशाली ढंग से उपस्थित हैं। आजादी के बाद के भारतीय समाज को चित्रित करने वाले कमलेश्वर महत्वपूर्ण रचनाकार हैं। ‘

यह बातें हिंदी विभाग के पूर्व आचार्य तथा प्रतिष्ठित साहित्यकार आचार्य रामदेव शुक्ल ने कमलेश्वर के जीवन और साहित्य पर लिखी गई डॉ श्रीनिकेत शाही की पुस्तक ‘ कमलेश्वर: जीवन और साहित्य ‘के विमोचन के अवसर पर अपने संबोधन में कही।

कुशीनारा उच्च अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर सूर्य नारायण ने कमलेश्वर के कृतित्व को रेखांकित करते हुए उन्हें अपने समय का महत्त्वपूर्ण साहित्यकार बताया। उनके अनुसार कमलेश्वर ने अपनी रचनाओं में ना केवल मध्यमवर्गीय जीवन बल्कि स्त्री तथा दलित विमर्श को भी प्रभावशाली ढंग से उठाया। कमलेश्वर अपने सशक्त अभिव्यक्ति के कारण साहित्य ही नहीं बल्कि फिल्म और टेलीविजन की विधा में भी लोकप्रिय हुए।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर अनिल राय ने कमलेश्वर के साहित्य की खूबियों और सीमाओं को विस्तार से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि कमलेश्वर को पढ़ना अपने समय को जानना है और उनकी रचनाओं की विषय आज भी बहुत प्रासंगिक है।

कवि वेद प्रकाश ने कमलेश्वर के ऊपर लिखित आलेख प्रस्तुत किया। उनके अनुसार कमलेश्वर अपने समय की महत्वपूर्ण समस्याओं को राजनीतिक स्वर दे रहे थे। उनकी रचनाएं भारतीयता के समक्ष उपस्थित संकट को पहचानने में सहायक हो सकती हैं। कमलेश्वर ने बहुलतावादी समाज , सांप्रदायिकता और लोकतंत्र के आपसी संबंधों को बेहतरीन बनावट के साथ हमारे समक्ष प्रस्तुत किया।

महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य केपी सिंह ने कमलेश्वर पर मौलिक पुस्तक लिखने के लिए लेखक को बधाई दी और कहा कि इस तरह की किताबें साहित्यिक समाज के लिए बहुत आवश्यक होती हैं।

इस अवसर पर जन संस्कृति मंच के राष्ट्रीय महासचिव मनोज सिंह, आरपी सिंह, रामेंद्र चंद,अजय शुक्ल, धर्मेंद्र सिंह, अशोक चौधरी, नित्यानंद श्रीवास्तव, डॉ विनोद कुमार द्विवेदी सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी और श्रोता उपस्थित रहे।

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