साहित्य - संस्कृति

हिंदी की लवली गोस्वामी और मलयालम के एम. पी. प्रथीश को ‘केदारनाथ सिंह स्मृति सम्मान’ 

वाराणसी। लवली गोस्वामी (हिन्दी )और प्रथीश (मलयालम)  को दूसरा ‘केदारनाथ सिंह स्मृति सम्मान’ देने की घोषणा हुई है। केदारनाथ सिंह जी के जन्मदिन पर 19 नवंबर को आयोजित केदारनाथ सिंह स्मृति वक्तव्य में साखी के सम्पादक श्री सदानंद शाही ने इसकी घोषणा की।

हिन्दी में सुश्री लवली गोस्वामी को यह सम्मान उनके कविता संग्रह ‘उदासी मेरी मातृभाषा है’ (2019) के लिए दिया जाएगा। भारतीय भाषाओं में यह सम्मान इस वर्ष मलयाली कवि प्रथीश को उनके संग्रह ‘पीरवेल्लम’ (2020) के लिए दिया जाएगा ।उन्होंने बताया कि समस्त नामों पर गहन विचार विमर्श के बाद निर्णायक मंडल ने इन दो नामों पर अपनी सहमति दी है ।

वर्ष 2022 के लिए श्री ए अरविंदाक्षन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय चयन समिति  गठित की गयी थी जिसमें  श्री चन्द्रकांत पाटिल, श्री राजेश जोशी, श्री अरुण कमल तथा सुश्री अनामिका सदस्य थे। इस वर्ष भारतीय भाषा मलयाली प्रतिनिधि  श्री के. सच्चिदानंदन विशेष सदस्य के रूप में शामिल हुए और निर्णायक मंडल ने सर्व सम्मति से यह निर्णय  लिया।

निर्णायक मंडल ने कहा कि  ‘लवली गोस्वामी की कविताएं बहुत सधे कदमों से (छोटे डग भरती हुई) चलनेवाली गुप्तचर कविताएं हैं। कभी गहन ‘अंधेरे में’, कभी हल्के झुटपुटे में रास्ता टटोलते हुए चलनेवाला यह गुप्तचर, मुक्तिबोध के शब्दों में कहें तो ‘आत्मा का गुप्तचर ही हो सकता है। इसे आत्मा की गहन सुरंगों का पता है और इस विसंगति का भी कि एक कदम उठाते ही हजार राहें जो फूट पड़ती हैं, हजार किरणों की तरह कहीं एक बिन्दु पर कन्वर्ज भी कर जाती हैं। जिस एक बिन्दु पर उनका यह अभिसरण होता है, वही प्रेम है, प्रेम यानी मृत्यु का बड़ा भाई जो मृत्यु के कंधे पर बैठकर जग का मुजरा’ लेने की औकात रखता है।’

“प्रथीश एक प्रयोगधर्मी कवि हैं, जो अपनी कविता के लिए शब्दों के साथ-साथ रेखाचित्रों और वस्तुओं का भी प्रयोग करते हैं। उनका मुख्य विषय प्रकृति और मनुष्य के बीच संबंध है। वह ग्रह के भविष्य के बारे में गहराई से चिंतित है। वह भाषा का प्रयोग बहुत ही सूक्ष्मता और सूक्ष्मता से करते हैं और उनकी कविता में कोई अतिरेक नहीं है। वह पृथ्वी, आकाश, जल, पेड़, पौधों और छोटे जानवरों की छवियों के साथ काम करते है। वह आसानी से केरल के सबसे होनहार कवियों में से एक हैं और प्रोत्साहन के पात्र हैं। उनकी एक अनूठी काव्यात्मक आवाज है, जो उनकी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के अन्य लोगों से बहुत अलग है। वे एक कवि के रूप में बहुत सक्रिय हैं।”

प्रो शाही ने बताया कि हिंदी की साहित्यिक पत्रिका ‘साखी’ ने कवि केदारनाथ सिंह की याद में वर्ष 2021 से दो युवा कवियों को हर साल ‘केदारनाथ सिंह स्मृति सम्मान’ देने का निर्णय लिया था और इसके लिए देश-विदेश के कवियों, लेखकों, आलोचकों और सम्पादकों से ‘केदारनाथ सिंह स्मृति सम्मान’ के लिए संस्तुतियां आमंत्रित की गयी थीं,जिनकी उम्र संग्रह प्रकाशन के समय 35 वर्ष से अधिक न हो।इसके अंतर्गत एक हिन्दी कवि और एक अन्य भारतीय भाषा के कवि को सम्मानित किया जाना था।  नयी रचनाशीलता के प्रति केदार जी की उत्सुकता और स्नेह के सम्मान में इस पुरस्कार का आयोजन किया जा रहा है।

श्री शाही ने बताया कि शीघ्र ही आयोजित कार्यक्रम में दोनों कवियों को ₹ 25000 की राशि तथा प्रशस्ति पत्र आदि देकर सम्मानित किया जाएगा ।इस अवसर पर केदारनाथ सिंह स्मृति व्याख्यान भी आयोजित किया जायेगा।

लवली गोस्वामी – झारखण्ड के धनबाद जिले की मूलवासी. 1987 में जन्म. हिंदी कवि और हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओँ की लेखक- निबंधकार. वाणी प्रकाशन से २०१९ में कविता संग्रह “उदासी मेरी मातृभाषा है ” प्रकाशित एवं बहुचर्चित है. इससे पहले 2015 में भारतीय मिथकों पर निबंध की एक किताब प्रकाशित है. कवितायेँ चार देशी – विदेशी भाषाओँ में अनूदित हैं . देश के अनेक महत्वपूर्ण  पत्र – पत्रिकाओं में लेख – कविताएँ प्रकाशित. १० बर्ष से लेखन में सक्रिय. एक उपन्यास शीघ्र प्रकाश्य.

एम. पी. प्रथीश  (जन्म 1987) एक कवि और कलाकार हैं जो केरल में रहते और काम करते हैं। उन्होंने मलयालम भाषा में कविता के दस संग्रह प्रकाशित किए हैं। उनकी कविताएँ और वस्तु / दृश्य कविताएँ विभिन्न स्थानों पर प्रकाशित हैं जिनमें सिंगिंग इन द डार्क (पेंगुइन), ग्रीनिंग द अर्थ (पेंगुइन से आगामी, 2023) आरएलसी जर्नल, टिनी सीड, इंडियानापोलिस रिव्यू, काव्याभारती, नेशनलपोएट्रीमंथ.सीए (एंजेलहाउस प्रेस), बॉम्बे रिव्यू, केरल कविथा, गुफ्तुगू, एक्रोपोलिस, ट्रू कॉपी, भारतीय साहित्य और अन्य  शामिल हैं। ट्रांसफिगरिंग प्लेसेस, दृश्य कविताओं का एक संग्रह, पेपरव्यू बुक्स, पुर्तगाल द्वारा प्रकाशित किया गया है।

उनकी कविताओं की हालिया किताब, द बरिअल, ऑस्मोसिस प्रेस, यूके से आने वाली है। मलयालम में हाल के प्रकाशनों में शामिल हैं: रात्रीयात्रा /രാത്രിയാത്ര (दिसंबर, 2021), पिरावेलम/പിറവെള്ളം (अक्टूबर, 2020)

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