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खिरिया बाग में लेबर-फार्मर समिट, लाखों करोड़ का निवेश हो रहा है तो बेरोजगारी, आर्थिक तंगी क्यों है ?

खिरिया बाग (आज़मगढ़)। एयरपोर्ट के नाम पर किसानों की उपजाऊ जमीन के जबरन अधिग्रहण के खिलाफ खिरिया बाग संघर्ष के 121 वें दिन 10 फरवरी को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के समानांतर लेबर-फार्मर समिट का आयोजन किया गया। वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह, समान शिक्षा आंदोलन से जुड़े किसान नेता चतुरानन ओझा, वरिष्ठ कहानीकार हेमन्त कुमार ने धरनारत ग्रामीणों को संबोधित किया. वक्ताओं ने बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण से खेती और खाद्य सुरक्षा पर या रहे खतरे के सवाल को उठाया और कहा कि खिरियाबाग का आंदोलन एक इतिहास रच रहा है। यह संघर्ष विकास के नाम पर प्राकृतिक संसाधनों को पूंजीपतियों को सौंपने कि साजिश के खिलाफ पूरे देश में चल रहे आंदोलन का ही विस्तार है।

वक्ताओं ने मांग की कि जब खिरिया बाग के किसान-मजदूर अपनी जमीन देने को तैयार नहीं है तो अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की परियोजना को तत्काल रद करने के ऐलान करना चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने कहा कि ये कौन सा विकास है जिससे देश में गरीबी बढ़ती जा रही है और चंद लोग रोज करोड़पति होते जा रहे हैं। लाखों करोड़ निवेश के दावे के बाद भी बेरोजगारी, आर्थिक संकट क्यों बढ़ रहा है ? उन्होंने देश में बढ़ती असमानता का जिक्र करते हुए कहा कि पूंजीपरस्त नीतियों के कारण ही आज देश के सबसे आमिर एक फीसदी लोगों के पास राष्ट्रीय संपत्ति का 77 फीसदी हिस्सा इकट्ठा हो गया है। आज देश में 119 अरबपति हैं। एक दशक में अरबपतियों कि संख्या 10 गुना बढ़ गई है। दूसरी तरफ स्वास्थ्य, शिक्षा पर अत्यधिक खर्च के कारण हर सेकेंड दो फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जा रहे हैं। अपना देश गैर बराबरी कम करने वाले देशों में सबसे खराब प्रदर्शन वाला देश है। स्वास्थ्य पर सबसे कम खर्च करने वाले देशों में भारत चौथे स्थान पर है। ये हालात आज के विकास के माडल के चलते बना हैं जिसे हमें बदलना होगा। निवेश का महाकुंभ और कुछ नहीं अमीरों को और अमीर बनाने का सर्कस है।

कुशीनगर हवाई अड्डे के लिए भूमि अधिग्रहण और इसके खिलाफ चले आंदोलन का जिक्र करते हुए श्री सिंह ने कहा कि सरकार ने जोर जबरदस्ती कर किसानों से जमीन ले ली लेकिन एक दशक बाद भी यह हवाई अड्डा संचालित नहीं हो पाया है। मोदी सरकार ने छह हवाई अड्डों को पूँजीपतियों को सौंप दिया है और 22 अन्य हवाई अड्डों को सौंपने की तैयारी चल रही है। सरकार जनता के पैसे से एयरपोर्ट बनाकर अडानी जैसे पूंजीपतियों को सौंप रही है।

 

श्री सिंह ने मोदी-योगी सरकार पर भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की अवहेलना कर बहुफसली सिंचित जमीन का जोर जबरदस्ती अधिग्रहण का आरोप लगते हुए कहा कि आजमगढ़ एयरपोर्ट के लिए बेहद उपजाऊ खेती की जमीन, नहर, बाग और हजारों मकानों को अधिग्रहित करने की साजिश हो रही है। उन्होंने अंधाधुंध भूमि अधिग्रहण से खाद्य सुरक्षा, कृषि विविधता पर बढ़ते संकट का जिक्र करते हुए कहा कि भूमि अधिग्रहण कानून 1894 के बाद से देश में अब तक डेढ़ लाख वर्ग किमी जमीन अधिग्रहित कि जा चुकी है। ये इतनी बड़ी जमीन है जितना कि बांग्लादेश का क्षेत्रफल है। यदि इसी गति से भूमि लूट जारी रही तो आने वाले वर्षों में खाद्य सुरक्षा पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाएगा क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन के चलते अनाज उत्पादन में कमी आ रही है। इसलिए यह आंदोलन अपनी जमीन को बचाने के साथ साथ देश को भूख से बचाने की भी लडाई है।

समान शिक्षा आंदोलन से जुड़े किसान नेता चतुरानन ओझा ने कहा कि आंदोलन में महिलाओं की बड़ी भागीदारी आंदोलन की जीत की गारंटी है. उन्होंने जल, जंगल और जमीन कि लूट के लिए पूंजीपतियों से सरकार ने यारी गाँठी है. हम इसलिए जी ले रहे हैं क्योंकि हमारे पास जमीन है। कृषि नीति, शिक्षा नीति, चिकित्सा नीति से आम जनता का नहीं कुछ खास लोगों का ही विकास हो रहा है। स्पेशल इकोनॉमिक जोन, स्मार्ट सिटी के नाम पर हमको झूठे सपने दिखाए जा रहे हैं। उद्योगों के नाम पर हमारी जमीन कब्जा की जा रही है। रोजगार देने के नाम पर बेरोजगारों की फौज खड़ी कर दी गई है। खिरियाबाग आंदोलन के साथ पूरा देश खड़ा है।

धरने को वरिष्ठ कहानीकार हेमन्त कुमार, राम कुमार यादव, रामनयन यादव, दुखहरन राम, राजीव यादव, इमरान, ओम प्रकाश भारती, नीलम, सुनील पंडित, नरोत्तम यादव, किस्मती, रितिका ने संबोधित किया. धरने की अध्यक्षता बिंदू यादव और संचालन रामाशीष गौड़ ने किया।