लालजी कुशवाहा ने स्ट्राबेरी की खेती से किसानों को दिखाई नई राह

कुशीनगर। दुदही ब्लाक के मंझरिया दुमही गांव निवासी लालजी कुशवाहा ने स्ट्राबेरी की सफलता पूर्वक खेती कर गन्ना और केले की खेती वाले इस जिले में किसानों को नई राह दिखाई है।

लालजी कुावाहा ने बताया कि उन्होंने 15 कट्ठा में स्ट्राबेरी की खेती की है। पिछले वर्ष भी उन्होंने खेती की थी। स्ट्राबेरी की खेती में चार लाख रुपये लागत आयी है। उन्होंने कुल 16 हजार पौधे लगाये हैं।

श्री कुशवाहा के अनुसार अमूमन एक हजार पौधे का नुकसान हो जाता है। एक पौधे से एक किग्रा0 फल मिल जाता है। इसमें गोबर की खाद व लिक्विड़ फर्टिलाइजऱ डाली जाती है और हर तीन से चार दिन पर सिंचाई की जाती है।

स्ट्राबेरी की खेती सामान्यरुप से जुताई व पाटा चलाकर सितम्बर और अक्टूबर माह में की जाती है। इस समय फसल तैयार है लेकिन मार्केटिंग की समस्या सबसे बड़ी है क्योकि इस फल की मांग बडे़ शहरों में है।

लालजी कुशवाहा स्ट्राबेरी को गोरखपुर में बेचते है लेकिन इनके हिसाब से इस समय बाजार भाव डाउन है। इसकी कीमत 250 से 300 रुपया लाकॅ डाउन से पहले मिलता था। लालजी के अनुसार उनका आधा फल बिक गया है। इससे उनकी लागत निकल आयी है। बाकी फल बिकेगा जो उनका मुनाफा होगा।

लालजी बताते हैं कि इसके पौधे पूणे या हिमाचल प्रदेश से मंगाये जाते है। उर्पयुक्त मिट्टी व जलवायु में इसके पौधों का जल्द विकास होता है। इसकी खेती प्लाटिक मल्चिंग विधि से कह जाती है। यहाॅ पर स्ट्राबेरी के विंटरडाउन प्रजाति अधिक पसंद की जा रही है।

स्ट्राबेरी को स्वास्थ के लिए काफी लाभदायक माना जाता है। इसमें एंटीआक्सीडेंट, पाॅलीफैनल्स , फाइबर, फोलिक एसिड , कैल्शियम, फास्फोरस और मिनरल्स की पाये जाते हैं।