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लोकगीतों को सरंक्षित करना जरूरी : प्रो रामदेव शुक्ल

गोरखपुर। भारतीय सांस्कृतिक निधि (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हैरिटेज) के गोरखपुर चैप्टर ने विश्व विरासत सप्ताह के तहत आज होटल विवेक के सभागार में संगोष्ठी का आयोजन किया जिसमें मुख्य अतिथि वरिष्ठ कथाकार प्रो रामदेव शुक्ल,गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर अजय कुमार शुक्ल, वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने पूर्वांचल की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक विरासत पर विस्तार से चर्चा की और उसके संरक्षण पर जोर दिया।

संगोष्ठी के प्रारम्भ में भारतीय सांस्कृतिक निधि गोरखपुर चैप्टर के सदस्य अचिन्त्य लाहिरी ने सभी का स्वागत करते हुए गोरखपुर शहर की कई ऐतिहासिक विरासतों की चर्चा करते हुए उसकी महत्ता बतायी और उसके सरंक्षण के लिए नागरिक समाज को आगे आने की अपील की।

वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार सिंह ने पूर्वांचल की समृद्ध सांस्कृतिक संपदा का जिक्र किया। उन्होंने लोकगीतों, जातीय नृत्यों, लोक वाद्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि अब तमाम जातीय व लोक नृत्यों को जानने वाले और उन्हें प्रस्तुत करने वाले कुछ ही कलाकार बचे हैं। ये नृत्य व गीत सैकड़ों वर्ष पुराने हैं। इसी तरह लोक नृत्यों व गीतों में प्रयुक्त होने वाले वाद्य यंत्र भी बहुत पुराने हैं। जिन्हें सरंक्षित करने के साथ साथ लोगों को इसके बारे में जानकारी देने की भी जरूरत है।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर अजय कुमार शुक्ल ने कहा कि युवाओं को विरासत संरक्षण से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी विरासत संस्कारों की विरासत है जो खतरे में है।

मुख्य अतिथि प्रो रामदेव शुक्ल ने कहा कि इंटैक के कार्यों की सराहना करते हुए कुशीनगर और कुशीनगर जिल के कई ऐतिहासिक भवनों, स्थानों की चर्चा की। उन्होंने लोकगीतों के गायब होने पर चिंता करते हुए कहा कि लोकगीतों का कोई एक रचियता नहीं होता। उसे समुदाय रचता है। इसे बचाना अपने को बचाना है।
इंटैक के सदस्य केके चंद्र विश्वप्रेमी ने पुराने साहित्य और विज्ञान की पुस्तकों के टेक्स्ट में बदलाव का सवाल उठाया।

कार्यक्रम के अंत में भारतीय सांस्कृतिक निधि के गोरखपुर चैप्टर के संयोजक ई महावीर कंदोई ने धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि इंटैक के गोरखपुर चैप्टर ने वसंतपुर सराय, मोती जेल, मगहर सुरंग सहित कई ऐतिहासिक विरासतों के सरंक्षण का कार्य किया है। गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में स्थित पूर्वांचल संग्रहालय में पी के लाहिड़ी की स्मृति में गैलरी बनाई गई है जिसमें 60 वर्षों से संग्रहित धरोहर वस्तुएं रखी गईं हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ मुमताज खान ने किया।

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