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विन्ध्यवासिनी पार्क का नाम बदले जाने का एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने भी विरोध किया

गोरखपुर. मोहद्दीपुर स्थित विन्ध्यवासिनी पार्क का नाम बदले जाने का विरोध तेज होता जा रहा है. भाजपा एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद के नाम से जाने वाले पार्क का नाम बदले जाने का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री और उद्यान मंत्री को पत्र लिखा है.
मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा है कि ‘ महानगर गोरखपुर में स्थित विन्ध्यवासिनी पार्क का नाम बदल दिया गया है. अवगत हों  कि गोरखपुर के मूल निवासी और पेशे से बैरिस्टर बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद का भारत के स्वाधीनता आंदोलन में अप्रितम योगदान है. वे गोरखपुर क्षेत्र में स्वाधीनता की अलग जगाने वाले क्रांतिकारियों में अग्रगण्य हैं. उन्होंने 1916 में गोरखपुर में होम रूल लीग की स्थापना किया, 1917 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की चंपारण यात्रा में उनके साथ रहे, 1919 में अंग्रेजों द्वारा लाए गए रौलट एक्ट के विरुद्ध संघर्ष करने वाले क्रांतिकारियों के वे अगुआ थे. 1920 से लेकर 1930 तक उन्होंने गोरखपुर में राष्ट्रीय आंदोलन को गति दिया. 1942 के ऐतिहासिक अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के नेतृत्व कर्ता के रूप में संघर्ष करते हुए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दिया.
श्री सिंह ने पत्र में लिखा है कि महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘ सत्य के प्रयोग ‘ में बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद के योगदान की मुक्त कंठ से सराहना की है. आजादी के बाद बाबू विन्ध्यवासिनी  के पुत्र स्वर्गीय श्री प्रसाद अष्टभुजा प्रसाद वर्मा श्यामदेउरवा क्षेत्र से विधायक चुने गए. उनके परिजनों द्वारा सामाजिक कार्य किए गए. शिक्षा की उन्नत के लिए अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना का श्रेय भी उन्हें प्राप्त है. बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद के पुत्र सतीश कुमार वर्मा एडवोकेट, स्वर्गीय यती कुमार वर्मा एडवोकेट तथा यतीन्द्र कुमार वर्मा के परिवार आज भी गोरखपुर में निवास करता हैं. उनकी  गणना गोरखपुर के सुशिक्षित और संभ्रांत परिवारों में की जाती है.
स्वाधीनता के समग्र आंदोलन में विन्ध्यवासिनी प्रसाद स्थानीय महानायक के रूप में गोरखपुर क्षेत्र में विशेष विशेष लोकप्रिय हैं. देश की आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को विस्मृत नहीं किया जा सकता. गोरखपुर के इतिहास को गौरवान्वित करने वाले अमर सेनानी बाबू विन्ध्यवासिनी प्रसाद का नाम पूर्ववत बनाए रखने का तुरंत फैसला लिया जाना जनभावनाओं एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान होगा. ‘

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