पर्यावरणसमाचार

आमी नदी के प्रदूषण पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नाराज, कहा -जिम्मेदार संस्थाएं काम नहीं कर रहीं

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूलन ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाई पॉवर कमेटी बनाई, एक माह के अंदर आमी नदी को साफ करने की नीति बताने को कहा

नई दिल्ली/गोरखपुर।नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ( एनजीटी ) ने आमी नदी प्रदूषण मुक्त किये जाने के संबंध में दिए गए आदेशों का अनुपालन न होने पर सख्त नाराजगी जताई और कहा कि सभी संस्थाएं अपनी जिम्मेदारी से भाग रही हैं। एनजीटी ने कहा आमी पूरी तौर पर प्रदूषित हो चुकी है और इससे गंगा भी प्रदूषित हो रही है.

एनजीटी ने कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के नेतृत्व में हाई पावर कमेटी बनातेे हुए कमेटी को 3 महीने के अंदर किये गए कार्य की प्रगति रिपोर्ट और एक माह के अंदर आमी कैसे साफ होगी इसकी नीति तय कर कोर्ट को बताने का आदेश दिया.

आमी बचाओ  आंदोलन की ओर से अध्यक्ष विश्वविजय सिंह द्वार दायर याचिका पर एनजीटी में 23 अगस्त को 4 घण्टे तक चली बहस चली.श्री सिंह के अधिवक्ता दुर्गेश पांडेय ने सुनवाई के दौरान आमी बचाओ मंच का पक्ष रखा.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आमी बचाओ मंच के इस दृष्टिकोण को स्वीकार कर लिया की आमी पूरी तौर पर प्रदूषित है और इससे गंगा भी प्रदूषित हो रही है.
सबूतों को देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि आमी का प्रदूषण सर्वोच्च स्तर पर है. कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड समेत सभी संस्थाओं की दलीलों को अस्वीकार कर दिया और कहा कि सभी संस्थाये अपनी जिम्मेदारी से भाग रही हैं.

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में कामन इंफ्लुएंट ट्रीटमेन्ट प्लांट और मगहर व खलीलाबाद में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लगने में हो रही देरी के संदर्भ में एनजीटी ने इन संस्थाओं की कोई दलील नही माना और कहा कि ये काम के प्रति गम्भीर नहीं है.

एनजीटी ने पिछले तारीख पर गोरखपुर नगर निगम और उ प्र सरकार पर लगे जुर्माने को माफ़ करने की सिफारिश को ख़ारिज कर दिया. ट्रिब्यूनल ने  बहस के दौरान तंज कसते हुए कहा कि मुख्य मंत्री गोरखपुर के है तब ये हाल है. एनजीटी ने सभी संस्थाओं के प्रमुखों को अपना सम्पर्क नंबर और लिए गए एक्शन की जानकारी जनता के लिए पोर्टल पर डालने का निर्देश दिया.

एनजीटी  आमी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिये किये जा रहे सरकारी उपायों से असंतुष्ट थी.अगली सुनवाई 10 जनवरी को होगी. आमी में किसी भी प्रकार के कचरा नही डालने पर 2015 में लगायी गई रोक के आदेश का पालन न होने का भी एनजीटी ने संज्ञान लेकर फटकार लगाई.

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