नेशनल वेक्टर बार्न डिजीज की टीम ने कालाजार प्रभावित गाँवो में छिड़काव का हाल जाना   

देवरिया। बुधवार को भाटपाररानी  ब्लॉक व बनकटा ब्लॉक में नेशनल वेक्टर बार्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम नई दिल्ली के वरिष्ठ परामर्शदाता (कालाजार) डॉ .विनोद कुमार रैना और उनकी  टीम ने  कालाजार उन्मूलन  के लिए सिंथेटिक पायराथाइड का छिड़काव इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आईआरएस)  का हाल जाना। साथ ही छिड़काव कार्य में लगी टीम का भी विजिट किया।
जिले की टीम के साथ डॉ. विनोद कुमार रैना की टीम पहले भाटपाररानी ब्लॉक के घर्मखोर गांव और बनकटा ब्लाक के पकड़ी नरहिया व दास नरहिया गांव पहुंची जहां उन्होंने छिड़काव कार्य में लगी छह सदस्यी टीम का काम देखा और कार्य की गुणवत्ता पर संतोष जताया।
उन्होंने कहा कालाजार की वाहक बालू मक्खी को खत्म करने तथा कालाजार के प्रसार को कम करने के लिए इंडोर रेसीडूअल स्प्रे (आईआरएस) किया जाता है। यह छिड़काव घर के अंदर दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक होता है। कालाजार एक संक्रामक  बीमारी है जो परजीवी लिस्मैनिया डोनोवानी के कारण होता है। यह एक वेक्टर जनित रोग भी है। इस बीमारी का असर शरीर पर धीरे-धीरे पड़ता है। कालाजार बीमारी परजीवी बालू मक्खी के जरिये फैलती है जो कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे की  मिट्टी की दीवारों की दरारों, चूहे के बिलों तथा नम मिट्टी में रहती है। बालू मक्खी यही संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलाती है। इस दौरान स्वयंसेवी संगठन पाथ के प्रतिनिधि डॉ. अम्बरेश प्रत्येक घर के अंदर जाकर छिड़काव की स्थिति का पता लगाया और संतोष जताया।
इस अवसर पर डब्ल्यूएचओ के जोनल कोआर्डिनेटर डॉ. सागर घोडेकर, पाथ के डीटीओ डॉ. पंकज, वेक्टर बार्न डिजीज प्रोग्राम के नोडल अधिकारी डॉ. एसके पांडये, सहायक मलेरिया अधिकारी सुधाकर मणि सहित स्थानीय टीम मौजूद रही।
क्या कहते हैं आंकड़े 
पिछले पांच वर्ष के आकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2014 में दो, 2015 में चार, 2016  में 11,  2017 में 29,  2018 में 41, वही मार्च 2019 तक 42 मरीज व 2020  अबतक 13 कालाजार के मरीज मिले हैं। जिनका इलाज कराया गया, रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग सतर्क है।
कालाजार के लक्षण 
 दो हप्ते से ज्यादा समय से बुखार, खून की कमी (एनीमिया) , जिगर और तिल्ल्ली का बढ़ता, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना है। सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसके कुछ लक्षण है। उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा भी काली पड़ जाती है।