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विकास को समावेशी एवं संधारणीय बनाए जाने की की जरूरत : प्रो मनीष वर्मा

गोरखपुर। ‘ समाज में समानता लाने में समावेशी विकास की बड़ी भूमिका है। विकास, विस्थापन व पर्यावरण के मध्य एक संतुलन का प्रयास किए जाने की आवश्यकता है, जिससे गरीब लोगों को अनावश्यक विस्थापन का सामना न करना पड़े। वस्तुतः विकास एक अनिवार्य प्रक्रिया है। विकास के कारण ही हम सभी का जीवन सुगम और सुविधाभोगी हुआ है। विकास यद्यपि सभी के लिए जरूरी हैं, किन्तु विकासीय परियोजनाओं के कारण होना वाला विस्थापन एक बड़ी समस्या के रूप में चिन्हित है। आजादी के बाद नीति-नियंताओं और हमारी पुरानी पीढ़ी ने देश के निर्माण को लेकर जो रूपरेखा बनाई, उसके तहत आधारभूत संरचना और बड़ी परियोजनाओं की शुरुवात की गई। इसके साथ ही स्थानीय लोगों के विस्थापन समस्या खड़ी हुई। हालाँकि आगे चलकर विस्थापितों की समस्याओं के निवारण का प्रयास किया गया और उन्हें विभिन्न प्रकार की सुविधाओं प्रदान करने की कोशिश की गई। विकास को समावेशी एवं संधारणीय बनाए जाने की की जरूरत है। ‘

उक्त वक्तव्य बीबीए सेंट्रल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के समाजशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं भारतीय समाजशास्त्र परिषद के मैनेजिंग कमेटी के सदस्य प्रो मनीष कुमार वर्मा ने “विकास एवं विस्थापन” शीर्षक पर दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के यूजीसी एचआरडीसी केंद्र द्वारा आयोजित हो रहे फैकेल्टी इंडक्शन प्रोग्राम में दिया।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रो अनिल कुमार द्विवेदी ने ‘फैट टू फिट’ विषय पर व्याख्यान दिया कहा कि स्वास्थ्य अच्छा होने और शरीर के फिटनेस से ही कार्यक्षमता बढ़ाई जा सकती है।

तृतीय सत्र में बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अध्यक्ष प्रो शरद कुमार मिश्रा ने नई शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।

कोर्स समन्वयक प्रो अजय कुमार शुक्ला ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि विकास, विस्थापन, स्वास्थ्य और नई शिक्षा नीति जैसे विषयों पर व्याख्यान के माध्यम से प्रतिभागियों को लाभान्वित किए जाने का प्रयास किया गया है।

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत कोर्स के सह समन्वयक डॉ मनीष पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों के शिक्षण संस्थानों से प्रतिभाग कर रहे अनेक शिक्षकों की उपस्थिति रही।

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