आरक्षण के मुद्दे पर निषाद पार्टी का भाजपा से बढ़ रहा है दुराव, नेताओं की गिरफ़्तारी से डा संजय निषाद नाराज

गोरखपुर। निषाद वंशीय जातियों को आरक्षण दिए जाने के मुद्दे पर निषाद पार्टी का अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा से दुराव बढ़ता जा रहा है। आरक्षण की मांग को लेकर 18 मार्च को डीएम को ज्ञापन देने गए निषाद पार्टी के प्रदेश प्रभारी एवं सांसद प्रवीण निषाद के भाई श्रवण निषाद सहित 14 नेताओं-कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया हालांकि एक दिन बाद ही सभी को मुचलके पर रिहा कर दिया गया।

निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय निषाद ने निषाद पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी और गिरफ़्तारी पर नाराजगी जतायी है और कहा है कि निषाद आरक्षण के मुद्दे पर वह पीछे नहीं हटेगी। आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

निषाद पार्टी की मांग है कि निषाद वंशीय जातियों को अनुसचित जाति में शामिल किया कर आरक्षण दिया जाए. अभी निषाद वंशीय दो जातियां मझवार और तुरैहा देश के अनुसूचित जातियों की सूची में हैं लेकिन मझवार और तुरैहा की पर्यायवाची, वंशानुगत या उपजातियां ओबीसी में शामिल हैं. डा. संजय कुमार निषाद के अनुसार केवट, माझी, मल्लाह, मुजाबिर, राजगौड़, गोंड़ आदि मझवार की पर्यायवाची जाति हैं जबकि गोड़िया, धुरिया, कहार, रायकवार, बाथम, रैकवार, सोरहिया, पठारी, धीवर, धीमर, तुरैहा की समकक्षी या पर्यायवाची जातियां है. उनका कहना है कि वर्ष 1992 के पहले इन सभी जातियां को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जाता था लेकिन इसके बाद विसंगति तब सामने आयी जब मझवार व तुरैहा की समकक्षी, पर्यायवाची जातियों को ओबीसी में रखा दिया गया। इससे निषाद वंशीय सभी जातियों का आरक्षण का लाभ मिलना बंद हो गया.

निषाद वंशीय सभी जातियों को आरक्षण के मुद्दे को लेकर ही 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा का साथ छोड़ भाजपा के साथ हो गए और कहा कि भाजपा ने उन्हें ’ आरक्षण रूपी प्रसाद ’ देने का वादा किया है लेकिन उनकी मांग अभी तक पूरी नहीं हुई है। अपनी मांग को लेकर दबाव बढाने के उद्देश्य से उनकी पार्टी ने आंदोलन शुरू कर दिया है।

आंदोलन के ही क्रम में निषाद पार्टी के प्रदेश प्रभारी श्रवण कुमार निषाद, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मक्खन प्रसाद गोयल, प्रदेश अध्यक्ष रविन्द्र मणि आदि 18 मार्च को डीएम को ज्ञापन देने गए। नगर निगम पार्क से जुलूस की शक्ल में ये लोग डीएम कार्यालय पहुंचे। वहां पर एडीएम सिटी और सिटी मजिस्टेट ने उन्हें ज्ञापन देने को कहा लेकिन निषाद पार्टी के नेताओं ने कहा कि वे डीएम को ही ज्ञापन देंगे। पिछली बार इसी तरह उनका ज्ञापन लिया गया लेकिन उसे राज्य व केन्द्र सरकार तक नहीं भेजा गया। इस बात को लेकर अधिकारियों से निषाद पार्टी के नेताओं की कहासुनी हो गई। निषाद पार्टी के नेता व कार्यकर्ता नारेबाजी करने लगे। तब अधिकारियों ने पुलिस की सहायता से उन्हें धकेल कर बाहर किया और 14 लोगों को गिरफ़्तार कर पुलिस लाइन्स भेज दिया। कुछ देर बाद 21 नामजद और 100 अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, तोड़फोड़, सरकारी काम में बाधा डालने, मारपीट, सात क्रिमिनल लाॅ अमेंडमेंट व लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया।

गिरफ़्तार लोगों में श्रवण निषाद पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष के बेटे और भाजपा के सिंबल पर संतकबीरनगर से सांसद बने प्रवीण निषाद के भाई हैं। निषाद पार्टी के नेताओं का कहना था कि पुलिस और अधिकारियों ने उनके साथ बदसलूकी की।

निषाद पार्टी के नेताओं पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज होने के बावजूद सभी गिरफ़्तार नेताओं को शुक्रवार की शाम मुचलके पर छोड़ दिया गया। भाजपा की सहयोगी पार्टी होने के नाते निषाद पार्टी के नेताओं पर केस तो दर्ज कर लिया गया था लेकिन प्रशासन दबाव में भी था। यही कारण है कि सभी गिरफ़्तार नेताओं को मुचलके पर रिहा किया गया।

गोरखपुर न्यूज लाइन से बातचीत करते हुए निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संजय कुमार निषाद ने पार्टी नेताओं की गिरफतारी पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर वे पीछे नहीं हटेंगे। भाजपा सरकार ने निषाद समुदाय से इस मांग को पूरा करने का वादा किया है। वादा पूरा नहीं होने तक पार्टी संघर्ष और आंदोलन के रास्ते पर चलेगी। आंदोलन और तेज होगा।