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कम हो रही है मदरसा बोर्ड की परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या

गोरखपुर। उप्र मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित सेकेन्डरी (मुंशी/मौलवी), सीनियर सेकेन्डरी (आलिम), कामिल व फाजिल परीक्षा वर्ष 2020 के लिए मदरसों को आवेदन करने वाले छात्र नहीं मिल रहे हैं जबकि परीक्षा आवेदन की आखिरी तारीख 30 नवंबर करीब आ चुकी है।

परीक्षा में जिले के करीब 48 मदरसे शामिल होते हैं। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के नवेद आलम ने बताया कि उनके यहां 50 के करीब परीक्षा फार्म भरे गए हैं। मदरसा जियाउल उलूम पुराना गोरखपुर गोरखनाथ के प्रधानाचार्य मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही ने बताया कि उनके मदरसे में 100 के करीब छात्रों ने फार्म भरा है। इसमें संस्थागत व व्यक्तिगत दोनों छात्र शामिल हैं।

मदरसा जामिया रजविया अहले सुन्नत गोला बाजार के प्रधानाचार्य मौलाना सिद्दीक कादरी ने बताया कि उनके मदरसे में करीब 14 फार्म भरे गए हैं। इसी तरह मदरसा अंजुमन इस्लामियां खूनीपुर में डॉ. रफीउल्लाह बेग के मुताबिक करीब 169 (संस्थागत 59 व प्राइवेट 110) व मदरसा जामिया रजविया मेराजुल उलूम चिलमापुर में मौलाना शौकत अली नूरी के मुताबिक करीब 45 फार्म भरे गए हैं।

जिले के मदरसा संचालकों ने इस पर चिंता जताई है। परीक्षा फार्म भरे जाने की सुस्त रफ्तार जिले में ही नहीं ब्लकि पूरे उप्र में जारी है। पिछले 13 नवंबर तक प्रदेश में मात्र 5295 फार्म भरे गए थे। जिस पर 14 नवंबर को परिषद के रजिस्ट्रार ने पत्र जारी कर अंसतोष भी जताया था। परीक्षा 12 से 25 फरवरी के बीच होने की संभावना है।

बताते चलें कि वर्तमान सत्र से मुंशी/मौलवी परीक्षा का नाम सेकेन्डरी व आलिम परीक्षा का नाम सीनियर सेकेन्डरी कर दिया गया है। वहीं सेकेन्डरी (मुंशी/मौलवी) पाठ्यक्रम हेतु 14 वर्ष न्यूनतम आयु तय की गई है। इस बार परीक्षा फीस में इजाफा भी किया गया है।

ऐसे घट रहा आवेदन

उप्र मदरसा शिक्षा परिषद परीक्षा के प्रति दिलचस्पी घटने का सिलसिला इस वर्ष भी जारी रहने की संभावना है। जहां वर्ष 2016 में 6000, 2017 में 4604, 2018 में 3532 छात्रों ने फार्म भरा था वहीं 2019 में करीब 2418 छात्रों ने परीक्षा फार्म भरा था और उसमे से भी करीब 25 फीसद परीक्षा में अनुपस्थित थे। वहीं कामिल (स्नातक) व फाजिल (परास्नातक) परीक्षा की मान्यता से संबंधित अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका है।

कामिल व फाजिल परीक्षा किसी विश्वविद्यालय से संबद्ध नहीं है इसलिए कामिल व फाजिल डिग्री की कोई वैल्यू नहीं है। यूपी बोर्ड की तरह उप्र मदरसा शिक्षा परिषद भी अधिकतम इंटर स्तर तक की परीक्षा आयोजित करा सकता है, लेकिन मदरसा परिषद 1987 से ही कामिल एवं फाजिल की डिग्री दे रहा है। इस डिग्री पर देश के किसी भी कालेज या विश्वविद्यालय में एडमिशन एवं नौकरी नहीं मिलती। यह जरूर है प्रदेश के अनुदानित मदरसों में नौकरी के लिए इसे स्वीकृत कर लिया जाता है। इसके अलावा कई अन्य कमियां भी हैं जिस वजह से छात्र परीक्षा फार्म भरने से कतरा रहे हैं।

परीक्षा पैर्टन में हुआ बदलाव

मदरसा बोर्ड की परीक्षा के पैटर्न में बदलाव किया गया है। इस बार छात्रों के आंतरिक अंक परीक्षा में जोड़े जाएंगे। मसलन सुन्नी थियोलॉजी का पेपर पहले सौ अंको का होता था जबकि इस बार 80 नम्बरों का होगा, इसमें बीस अंक आंतरिक परीक्षा के आधार पर दिए जाएंगे। आईसीएसई की तर्ज पर छात्रों को आलिम में 6 व मुंशी की परीक्षा में 7 पेपर देना होंगे। इसके अलावा फाजिल की परीक्षा में पांच पेपर होंगे।

मदरसे वालों का यह है कोटा

राज्यानुदानित/सहायता प्राप्त मदरसों के लिए व्यक्तिगत परीक्षा आवेदन फार्म भरवाने की अधिकतम संख्या 500 व गैर अनुदानित/मान्यता प्राप्त मदरसों के लिए व्यक्तिगत परीक्षा आवेदन फार्म भरवाने की अधिकतम संख्या 400 निर्धारित की है। परीक्षार्थी ऑफलाइन परीक्षा आवेदन फार्म भरकर संबंधित मदरसे में जमा करेंगे। चालान के जरिए परीक्षा शुल्क जमा होगा। परीक्षा शुल्क भी निर्धारित कर दिया गया है। ऑफलाइन परीक्षा आवेदन फार्म भरे जाने व परीक्षा शुल्क जमा होने के बाद संबंधित मदरसे ‘मदरसा पोर्टल’ पर परीक्षार्थी से संबंधित ऑनलाइन जानकारी भरेंगे।

मदरसों से एनसीईआरटी की किताबें नहीं पहुंची

मदरसा संचालकों के अनुसार एनसीआईआरटी की किताबें इस बार भी मदरसों में नहीं पहुंच पाई है। लिहाजा छात्रों को पुराने पैटर्न पर ही परीक्षा देना होगी। सरकार ने दो साल पहले मदरसों में एनसीआरटीई की किताबें लागू कर दी थी लेकिन दो साल में किताबें मदरसों में नहीं पहुंच पाई।

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