जनपद

हमारा खून भी शामिल है यहां की मिट्टी में : मुफ्ती अजहर

बनकटी चक में ‘ जश्न-ए-गौसे पाक ‘ जलसा

गोरखपुर। कादिरी कमेटी की ओर से शुक्रवार को बनकटी चक मकबरे वाली मस्जिद के पास ‘ जश्न-ए-गौसे पाक ‘ जलसा हुआ। हजरत शेख अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की जिंदगी के हर पहलू पर रोशनी डाली गयी।

विशिष्ट अतिथि मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि मदरसों व आलिमों की चर्चा बिना आजादी का इतिहास अधूरा है। अल्लामा फज्ले हक खैराबादी जैसे सैकड़ों मुस्लिम धर्मगुरूओं को काला पानी तक भेज दिया गया। मौलाना सैयद किफायत अली काफी मुरादाबादी जैसे सैकड़ों अज़ीम उलेमा को शहीद कर दिया गया। ये वे लोग थे, जो मदरसे से पढ़े थे जिनके पास हिंदुस्तान की आजादी का ज़ज़्बा था। मुस्लिम धर्मगुरूओं की राष्ट्रवादी भूमिका के बारे में लोगों को बताया जाना बेहद जरुरी है। हमारा भी खून शामिल है यहां की मिट्टी में, हम भी शहीद हुए हैं हिन्दुस्तान के लिए, हम गए नहीं, हम डरे नहीं, हम छुपे नहीं। हमें भरोसा है अपने देश के संविधान पर और अदालतों के फैसलों पर। हमने बड़े जालिम हकीमों का भी दौर देखा है। किसी कौम को काटने और मारने से उसे ख़त्म नहीं किया जा सकता। न ही दीन-ए-इस्लाम मिट सकता है और न ही कलमा पढ़ने वाले मिट सकते हैं और न मदरसों का वजूद खत्म किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हमें न डराया जाए, हमें न सताया जाए। वसीम रिज़वी जैसे लोग मौका परस्त व नफरतों के सौदागार हैं, क्योंकि उनकी बातें समाज को तोड़ने का काम कर रही हैं ।

मुख्य अतिथि सिद्धार्थनगर से आए मौलाना साहब अली चतुर्वेदी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम आधारित शिक्षा के जरिए इंसान को जिंदगी के सही उद्देश्य का पता चलता है। इससे हमें अपने कर्तव्य का एहसास होता है, यही मानवता की भलाई की दिशा में अहम पड़ाव होता है।

तिलावत कारी अंसारुल हक व नात शरीफ हेलाल टांडवी, मो. अशफाक व रईस अनवर ने पेश की। संचालन कारी अफजल बरकाती ने किया। इस मौके पर मौलाना गुलाम दस्तगीर, नेमतुल्लाह चिश्ती, हाफिज अब्दुल कलाम, मौलाना हिदायतुल्लाह, मो. शारिक, मो. राशिद, मो. तौकीर आलम, पप्पू, शाहरुफ, जुबैर सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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