समाचार

आउटसोर्स कर्मचारियों को पांच महीने से वेतन नहीं, इलाज न करा पाने के कारण कर्मचारी की हालत बिगड़ी

गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के करीब 300 आउटसोर्स कर्मचारियों को पिछले पांच महीने से वेतन नहीं मिल रहा है। इससे उनके और परिवारीजनों की हालत बहुत खराब है। आउटसोर्स कर्मचारी अपनी दैनिक जरूरतों से लेकर दवा-पानी, बच्चों की फीस तक का इंतजाम नही ंकर पा रहे हैं। पिछले दो दिन से एक कर्मचारी की तनाव और बीमारी का इलाज न करा पाने के कारण हालत इतनी खराब हो गई कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ा है। ऐसे ही हालात में एक कर्मचारी की मौत भी हो चुकी है।

विश्वविद्यालय में इस समय करीब 300 कुशल और अकुशल कर्मचारी आउटसोर्स पर कार्य कर रहे हैं। वर्ष 2017 से विश्वविद्यालय ने आउटसोर्स पर कर्मचारियों से काम की व्यवस्था शुरू की थी। इसके पूर्व दैनिक वेतन पर कर्मचारियों से काम लिया जाता था। जून 2021 तक जेजेजे नाम की एक आउटसोर्स एजेंसी के जरिए ये कर्मचारी विश्वविद्यालय को सेवा दे रहे थे। आउटसोर्स एजेंसी का जून में अनुबंध खत्म हो गया और उसका अनुबंध बढ़ाया नहीं गया। विश्वविद्यालय ने कहा कि वह टेंडर के जरिए आउटसोर्स एजेंसी का चयन करेगी लेकिन यह कार्य अभी तक नहीं हो पाया है।

इसके बाद से ही आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पा रहा है। वेतन के लिए वे लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन से सम्पर्क कर रहे हैं लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है।

अस्पताल में भर्ती रामसागर

एक आउटसोर्स कर्मचारी ने बताया कि आउटसोर्स कर्मचारियों में कुशल कर्मचारियों को 9200 और अकुशल कर्मचारियों को 7500 रूपए ही वेतन के बतौर मिलता है। यह वेतन भी कभी समय से नहीं मिलता है। अब तो पांच महीने से वेतन ही नहीं मिल रहा है। इस कारण हम लोग भुखमरी के शिकार हो गए हैं। कई कर्मचारियों के बेटे-बेटियों की पढ़ाई रूक गई है तो कई अपना व परिजनों की दवाई का भी इंतजाम नही ंकर पा रहे हैं। ऐसे ही एक कर्मचारी राम सागर की तबियत बहुत खराब हो गई क्योंकि वह बीपी व सुगर की दवाइयां नहीं ले पा रहे थे। उन्हें हम लोग पहले एक निजी अस्पताल में भर्ती कराए और फिर मेडिकल कालेज ले गए हैं।

रामसागर पम्प आपरेटर का कार्य करते हैं। वह विश्वविद्यालय में पिछले तीन दशक से काम कर रहे हैं। उनके साथ कुछ कर्मचारियों का समायोजन हुआ लेकिन उनका समायोजन नहीं किया गया। वर्ष 2017 से उन्हें आउटसोर्स कर्मचारी के बतौर कार्य लिया जा रहा है।

कुछ महीने पूर्व कुलपति आवास पर कार्य माली का कार्य कर रहे आउटसोर्स कर्मचारी महेन्द्र की इसी तरह की दुःखद परिस्थितियों में मौत हो गई थी। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनहीनता नहीं टूटी और उसने आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन दिलाने की कोई व्यवस्था नहीं की। कर्मचारियों ने बताया कि वेतन के लिए आवाज उठाने पर उन्हें काम से निकालने की धमकी दी जाती है। पूर्व में कई कर्मचारियों को आवाज उठाने के कारण काम से निकाल दिया गया है। इस कारण पांच महीने से वेतन नहीं मिलने के बावजूद कर्मचारी डर के बारे चुप रहने को विवश है।

Related posts