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ऑक्सीजन हादसा : हमारा पक्ष भी लिखिए ताकि हमें न्याय मिले : अनीता-पल्लवी

गोरखपुर। बीआरडी मेडिकल कालेज में हुए ऑक्सीजन हादसे के एक आरोपी डा. सतीश कुमार का परिवार न्याय के लिए खुलकर सामने आ गया है। सोमवार को पहली बार कालेज में प्रदर्शन व मार्च हुआ जिसमें डॉ. सतीश के परिवार ने हिस्सा लिया। शाम को डॉ. सतीश की पत्नी अनीता व बेटी पल्लवी रैन ने गोरखपुर जर्नलिस्ट प्रेस क्लब में मीडिया के रूबरू अपना पक्ष रखा और मीडिया से कहा कि हमारा पक्ष भी लिखिए ताकि हमें न्याय मिले। कुछ जूनियर डॉक्टर भी उनके साथ नजर आए।

मंगलवार को हाई कोर्ट में डा. सतीश की जमानत पर सुनवाई है।

अनीता ने कहा कि आठ माह के बाद डॉक्टरों में केवल डा. कफील अहमद खान को ही जमानत मिली है। जबकि मेरे पति अभी जेल में है और उनकी जमानत विचाराधीन है।

उन्होंने कहा कि डा. सतीश पर दो आरोप लगे है। पहला आरोप बिना बताए छुट्टी पर चले जाने का है। अनीता ने कहा कि डॉ. सतीश ने 11 अगस्त से 17 अगस्त तक की कैजुअल लीव पहले से ले रखी थी। उन्हें आईआईटी मुम्बई में पढ़ रहे बेटे तुषार रैन के दीक्षांत समारोह में भाग लेना था। उन्होंने 3 जुलाई को ही हवाई जहाज की टिकट लखनऊ से मुम्बई का करा रखा था। जाने से पहले उन्होंने प्रिंसिपल को अवगत करा दिया था। और अपना चार्ज एनस्थीसिया विभाग के प्रो. शाहबाज को दे दिया था। इसके बाद ही वह मुम्बई रवाना हुए। उन्हें ज्योंही आक्सीजन हादसे की जानकारी हुई वह रिर्टन फलाइट से बेटे का दीक्षांत समारोह अटेंड किए बिना लौट आए। 13 अगस्त को उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया।
उन्होंने एक अन्य आरोप पर सफाई पेश करते हुए कहा कि डा. सतीश बीआरडी में एनीस्थिसिया विभाग के अध्यक्ष होने के साथ मेंटीनेंस अधिकारी भी थे। डा. सतीश मेंटीनेंस अधिकारी के रुप में हार्डवेयर, मशीनरी, पाइपलाइन के रखरखाव की जिम्मेदारी दी गई थी। डा. सतीश को जब 10 अगस्त को सेन्ट्रल लाइन आपरेटरों ने लिक्विड आक्सीजन की कमी के बारे में अवगत कराया तो उन्होंने तुरंत प्रधानाचार्य को इसकी सूचना दी और आपरेटरों के पत्र को मेडिकल कालेज के एसआईसी और सीएमस को फारवर्ड कर दिया।

डॉ. सतीश की ऑक्सीजन के खरीद, भुगतान में कोई भूमिका नहीं थी। वह एनस्थीसिया के चिकित्सक हैं इसलिए पीडिया विभाग के मरीजों के इलाज से उनका कोई वास्ता नहीं था। उनका काम सर्जरी के दौरान मरीजों को बेहोश करना है। इसलिए मरीजों की चिकित्सा में लापरवाही का आरोप ही नहीं बनता है। तथ्यों को गलत ढंग से पेश कर उन्हें फंसाया गया है। जाँच में डॉ. सतीश को बार -बार आक्सीजन प्रभारी बताया गया है जबकि मेडिकल कालेज में इस नाम से पद ही नहीं है।

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