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गोरखपुर विश्वविद्यालय के 20 छात्र नेताओं का रेड कार्ड दे पुलिस ने धरना-प्रदर्शन न करने को कहा

गोरखपुर. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्र संघ चुनाव स्थगित किए जाने के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे छात्र नेताओं पर विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ-साथ पुलिस की भी नजरें टेढ़ी हो गई हैं. कैंट पुलिस ने 20 छात्र नेताओं को रेड कार्ड जारी करके विश्वविद्यालय परिसर में धरना-प्रदर्शन करने पर कार्रवाई की चेतावनी जारी की है. विश्वविद्यालय के इतिहास में पुलिस द्वारा छात्र नेताओं को रेड कार्ड जारी करने की यह पहली घटना है.

छात्रव नेताओं को कैंट थाने के इंचार्ज द्वारा रेड कार्ड जारी किया गया है. इस रेड कार्ड में लिखा है- ‘ आपको अवगत कराया जाता है कि आप द्वारा गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में आए दिन कुछ न कुछ ऐसा किया जाता है जिसके कारण कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो जाती है. अतः आपसे अपेक्षा की जाती है कि विद्यालय परिसर के अंदर ऐसा कोई धरना प्रदर्शन या व्यवहार ना करें जिससे पठन-पाठन बाधित हो. रेड नोटिस पाने के बाद भी यदि आप द्वाराऐसा कृत्य किया जाता है जिसे कानून व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हुई तो आप पर कार्रवाई की जाएगी. ’

जिन छात्र नेताओं को नोटिस जारी की गई है उसमें छात्र नेता अन्नू प्रसाद, राजीव यादव, रंजीत सिंह श्रीनेत, सचिन शाही, अनिल दुबे, इन्द्रेश यादव, भास्कर चौधरी, शिव शंकर गौड़ आदि हैं. इसके अलावा नगर मजिस्ट्रेट ने भी 25 छात्र नेताओं को 107 /116 में पाबंद किया है.

उल्लेखनीय है कि गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 13 सितंबर को होना था लेकिन एक दिन पहले छात्रसंघ अध्यक्ष पद के दो प्रत्याशियों के बीच मारपीट की घटना के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन चुनाव स्थगित कर दिया. तब से छात्र नेता चुनाव कराने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन चुनाव कराने के बारे में कोई स्पष्ट बात नहीं कर रहा है. विश्व विद्यालय प्रशासन का कहाँ है कि छात्र संघ चुनाव का मामला हाई कोर्ट में है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाई कोर्ट मेंअपना पक्ष रख दिया है. जैसा निर्णय आएगा वैसा किया जायेगा.

पुलिस द्वारा रेड कार्ड जारी करने छात्रों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. छात्र संघ अध्यक्ष पद की प्रत्याशी रही अन्नू प्रसाद ने कहा कि योगी सरकार की पुलिस ने रेड कार्ड दे कर छात्र राजनीति को अपमानित किया है. वर्तमान सरकार युवाओं की आवाज़ को बर्दाश्त नहीं कर पा रही है.

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