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युवा स्वाभिमान पदयात्रा को पुलिस ने नवाबगंज में रोका, 18 पदयात्रियों को गिरफ़्तार किया

प्रयागराज। रोजगार-शिक्षा के सवाल को लेकर शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर प्रयागराज से निकली युवा स्वाभिमान यात्रा को पुलिस ने नवाबगंज में रोक दिया और आधी रात को 18 पदयात्रियों को गिरफ़्तार कर लिया। सभी पदयात्रियों को अलग-अगल थानों में रखा गया है।

युवा स्वाभिमान मोर्चा की यह पदयात्रा सोमवार को दोपहर एक बजे चन्द्रशेखर पार्क से रवाना हुई थी। इस यात्रा में 18 युवा- डॉ आर पी गौतम, सुनील मौर्य, शैलेश पासवान, अमर बहादुर गौतम राम अवन, ठाकुर प्रसाद, सोनू यादव, शशि सिद्धार्थ, अनिल कुमार, धर्मराज कोल, शिव कुमार कोल, सुबास चंद्र वर्मा, आनंद राजभर, बबलू बियार, रोशन लाल, मंगला प्रसाद, करन, विमलेश गौतम शामिल है।
इस पदयात्रा को 12 दिन बाद नौ अक्टूबर को लखनउ पहुंचना था।

युवा स्वाभिमान पदयात्रा को इंडियन रेलवे इम्प्लाइज फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज पांडे, एक्टू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कमल उसरी और एडवोकेट बी.एम. सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था।

चन्द्रशेखर पार्क से यात्रा शुरू होते समय ही वहां भारी पुलिस बल पहुंच गया और यात्रा को रोकने लगा। काफी वाद-विवाद के बाद यात्रा शुरू हुई। सभी पदयात्री 25 किलोमीटर की यात्रा करते हुए शाम को नवाबगंज पहुंचे। यहां यात्रा का पहला पड़ाव था। रात एक बजे कई थानों की पुलिस नवाबगंज पहुंची और सो रहे पदयात्रियों को गिरफ़्तार कर लिया। सभी 18 पदयात्रियों को अलग-अलग थानों में रखा गया है।

यात्रा के सह संयोजक सुनील मौर्य सहित पांच लोगों को सोरांव थाने में रखा गया हैं। यात्रा रोकने और पदयात्रियों को गिरफ़्तार करने का कोई कारण अभी तक नहीं बताया गया है।

यात्रा शुरू होने के मौके पर युवा स्वाभिमान मोर्चा के संयोजक डॉ आर पी गौतम ने कहा कि रोजगार देना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकार यदि रोजगार नहीं दे सकती तो बेरोजगारों को सम्मानजनक भत्ता दे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का आधार प्रधानमंत्री का सबसे मशहूर जुमला “आत्मनिर्भर” होने का है। अर्थात सरकार स्वंय शिक्षा सुनिश्चित करने के बजाय प्राइवेट सेक्टर को निजी तथा सार्वजनिक-परोपकार की साझेदारी के नाम पर सौंप रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति कंपनियों और सरकार को सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए उनको जवाबदेह नहीं ठहराती है। इससे सामाजिक एवं आर्थिक रूप से हाशिए पर स्थित समुदायों को प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।  इस नीति से समावेशी, सामान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का सवाल ही गायब कर दिया गया।

सह संयोजक सुनील मौर्य ने कहा कि दो करोड़ नौकरियां हर साल देने का वादा करके सत्ता में आये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यकाल में दो करोड़ से ज्यादा रोजगार छीन लिया। अब सरकारी क्षेत्रों रेलवे, कोल इंडिया, आदि का निजीकरण कर बची हुई नौकरियों पर भी हमला बोल दिया गया है। जिन रिक्त पड़े पदों के लिए फार्म निकाले गए उनकी भी नियुक्ति नहीं हो सकी है। रेलवे की डेढ़ लाख पदों के लिए फार्म 2019 में लोकसभा चुनाव से पूर्व भराया गया, जिसमें 02करोड़ 42 लाख आवेदन फार्म भरे गए लेकिन अभी तक परीक्षा नहीं हो सकी।